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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३० ) रम्म - धम्म सो जयज पास जय जंतु पिश्रमहु ॥ १५॥ नुवणारस निवास दरिका परद रिसणदेवय, जोइणिपूएखित्त वाल खुद्दा सुर पसुवय ॥ तुह उत्त सुन सु श्रविसंबुलु चिहि, श्य तिदु वासिंद पास पावाइ पणासहिं ॥ १६ ॥ फणिफणफारफुरंतरयण कररंजिश्रनयल, फलिणी कंदलदल तमाल निलुप्पल सामल || कमासुर उवसग्गवग्ग संसग्ग छागंजिला, जय पश्च्चरक जिस पास थंजणयपुरठि ॥ १७ ॥ महमणतरलपमाणनेय वायावि विसंकुल, नियतपुरवि श्रविण्यसहाव आलस विहलंघल || तुह माह पपमाणदेव कारुण पवित्त, इय म मा अवहीर पास पालिहि विलवंत ॥ १८ ॥ किं किं कपिल ऐय कलु किं किं व न जंपित, किं व न चिनि कि देव दीपयमविलंबित कासु न किय निप्पलला म्हेहिं हत्ताहि, तदवि न पत्त ताण किंपि परं पदु परिचतहिँ ॥ १७ ॥ तुहुं सामिल तुडुं मायवप्प तुडुं मित्त पियंकरु, तुडुं गइ तुडुं मइतुंहिज ताणतुहुं गुरु खेमंकरु | हजं दुह जर जारिका बराज राजल निष्नग्गड लीएन तुह कमकमलसरण जिएपालहिं चंगल ॥ २० ॥ परं किवि कय नीरोय लोय किवि पावियसुहस्य, किवि मईमंत महंत किवि केवि साहियसिवपय ॥ किवि गंजिरिजवग्ग केवि जसधबलि मूल, मई वहीर हि के पास सरागयवबल || २१ || पच्चुवयार निरीह नाह निष्पयो, तुर्दु जिए पास परोवयार करु णिक्कपरायण ॥ सतु मित्तसमचित्तवित्ति नय निंदिश्रसममण, माछावहीर जुग्गवि मई पास निरंजण || २२ || हवं बहुविह For Private And Personal Use Only
SR No.020721
Book TitleShravak Nitya Krutya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinkrupachandrasuri
PublisherNirnaysagar Press
Publication Year1923
Total Pages178
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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