SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 713
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir श्रमण-सूत्र आहार त्यागने के छह कारण (१) आतङ्क-भयंकर रोग से ग्रस्त होने पर । (२.) उपसर्ग-अाकस्मिक उपसर्ग श्राने पर । (३) ब्रह्मचर्यगुप्ति-ब्रह्मचर्य की रक्षा के लिए । (४) प्राणिदया-जीवों की दया के लिए । (५) तप-तप करने के लिए। (६) संलेखना-अन्तिम समय संथारा करने के लिए। [उत्तराध्ययन २६ वाँ अध्ययन ] शिक्षाभिलाषी के आठ गुण (१)शान्ति-शान्त रहे, हँसी मजाक न करे । (२) इन्द्रियदमन-इन्द्रियों पर नियंत्रण रक्खे । (३) म्वदोषदृष्टि-दूसरों के दोष न देख कर अपने ही दोष देखे। (४) सदाचार-सदाचार का पालन करे । (५) ब्रह्मचर्य-काम-वासना का त्याग करे (६) अनासक्ति-विषयों में अनासक्त रहे । (७) सत्याग्रह-सत्य-ग्रहण के लिए सन्नद्ध रहे । (८) सहिष्णुता-सहनशील रहे, क्रोध न करे । उपदेश देने योग्य आठ बातें (१) शान्ति-अहिंसा एवं दया । (२) विरति-पापाचार से विरक्ति । For Private And Personal
SR No.020720
Book TitleShraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarchand Maharaj
PublisherSanmati Gyanpith
Publication Year1951
Total Pages750
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy