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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ४४५ सन्नति ज्ञान पीठ के प्रकाशन जैनत्व की भाँकी [उपाध्याय पं० मुनि श्री अमरचन्द्र जी महाराज ] इस पुस्तक में महाराज श्री जी के निबन्धों का संग्रह किया गया है। उपाध्याय श्री जी एक कुशल कवि और एक सफल समालोचक तो हैं ही ! परन्तु वे हमारी समाज के एक महान् निबन्धकार भी हैं। उनके निबन्धों में स्वाभाविक श्राकर्षण, ललित भाषा और ठोस एवं मौलिक विचार होते हैं। __प्रस्तुत पुस्तक में जैन इतिहास, जैन-धर्म, और जैन-संस्कृति पर लिखित निबन्धों का सर्वाङ्ग सुन्दर संकलन किया गया है । निबन्धों का वर्गीकरण ऐतिहासिक, धार्मिक, सामाजिक और दार्शनिक रूपों में किया गया है । जैन धर्म क्या है ? उसकी जगत और ईश्वर के सम्बन्ध में क्या मान्यताएँ हैं और जैन-संस्कृति के मौलिक सिद्धान्त कर्मवाद और स्याद्वाद जैसे गम्भीर एवं विशद विषयों पर बड़ी सरलता से प्रकाश डाला गया है । निबन्धों की भाषा सरस एवं सुन्दर है । जो सजन जैन-धर्म की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं उनके लिए यह पुस्तक बड़ी उपयोगी सिद्ध होगी। हमारी समाज के नवयुवक भी इस पुस्तक को पढ़कर अपने धर्म और संस्कृति पर गर्व कर सकते हैं। पुस्तक सर्व प्रकार से सुन्दर है। राजसंस्करण का मूल्य ११) साधारण संस्करण का मूल्य )। भक्तामर स्तोत्र [उपाध्याय पं० मुनि श्री अमरचन्द्रजी महाराज ] श्रापको भगवान् ऋषभदेवजी की स्तुति अब तक संस्कृत में ही प्रास थी । उपाध्याय श्री जी ने भक्तों की कठिनाई को दूर करने के लिए सरल एवं सरस अनुवाद और सुन्दर टिप्पणी एवं विवेचन के द्वारा भक्तामरस्तोत्र को बहुत ही सुगम बना दिया है। संस्कृत न जानने वालों के लिए हिन्दी भक्तामर भी जोड़ दिया गया है । मूल्य ।)। For Private And Personal
SR No.020720
Book TitleShraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarchand Maharaj
PublisherSanmati Gyanpith
Publication Year1951
Total Pages750
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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