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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir समिति सूत्र हुए यतनापूर्वक गमनागमन करना, ईर्या समिति है। ईया का अर्थ गमन होता है, अतः गमन विषयक सत्प्रवृत्ति, ईर्या समिति होती है। ईर्यायां समितिः, ईर्या-समितिस्तया । ईर्याविषये एकीभावेन चेष्टनमित्यर्थः' -प्राचार्य हरिभद्र । भाषा समिति श्रावश्यकता होने पर भाषा के दोषों का परिहार करते हुए यतनापूर्वक भाषण में प्रवृत्ति करना, फलतः हित, मित, सत्य, एवं स्पष्ट वचन कहना, भाषा समिति कहलाती है । 'भाषा समिति म हितमितासंदिग्धार्थ भाषणम् ।'-याचार्य हरिभद्र । एषणा समिति गोचरी के ४२ दोषों से रहित शुद्ध आहार पानी तथा वस्त्र पात्र आदि उपधि ग्रहण करना, एपणा समिति है। आदानभाण्डमात्र निक्षपणा समिति वस्त्र, पात्र, पुस्तक अादि भाण्डमात्र उपकरणों को उपयोग पूर्वक श्रादान = ग्रहण करना एवं जीवरहित प्रमार्जित भूमि पर निक्षेपण = रखना, अादान भाण्डमात्र निक्षेपणा समिति होती है। 'श्रादानभाण्डमात्र निक्षेपणा समिति म भाण्डमात्रे श्रादान-निक्षेपविषया समितिः सुन्दर चेष्टेत्यर्थः । ---ग्राचार्य हरिभद्र । पारिष्ठापनिका समिति ___मल मूत्र आदि या भुक्तशेष भोजन तथा भग्नपात्र आदि परटने योग्य वस्तु जीवनहित एकान्त स्थण्डिलभूमि में परटना, जीवादि उत्पन्न न हो-एतदर्थं उचित यतना कर देना, पारिष्ठानिका समिति होती है । प्राचार्य हरिभद्र, श्रावश्यक सूत्र की शिष्यहिता टीका में पारिष्ठापनिका समिति का निर्वचन करते हुए कहते हैं-'परितः-सर्वैः प्रकारैः स्थापनम्-अपुनर्ग्रहणतया न्यासः, तेन नियुत्ता पारिष्ठापनिकी ।' इसका भावार्थ यह है कि सब प्रकार से वस्तुओं को डाल देना, डाल देने For Private And Personal
SR No.020720
Book TitleShraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarchand Maharaj
PublisherSanmati Gyanpith
Publication Year1951
Total Pages750
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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