________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - मातुर्भसहान्वारोहणे तु नाधिका पक्षिणी॥ पूर्वाशौचेन शुद्धिः // 74 // सूतिकायां अग्निदे प्रेतपुत्रेषु च नास्ति // अत्र प्रेतपुत्रेति पुनर्ग्रहणं वचनांतरानुरोधेन // 75 // सूतके मृतकपाते न पिंडादाने प्रतिबंधः // मृतके सूतकसंपाते जातकर्मादि तदानीमाशौचांते वा कुर्यात् इति विकल्पः // 76 // मातुर्वाऽधिका पक्षिणी तन्मध्ये पितुरेकादशाहं श्राद्धं कुर्यात् // 77 // शवस्पर्शे दिवा चेन्नक्षत्रदर्शनाच्छुद्धिः // रात्रौ चेत्सूर्यदर्शनात् // तदन्नाशने तद्गृहवासे यावत्तेपामाशौचं तावदाशौचम् // 78 // संसर्गाशोंचे कर्माधिकारो नास्ति॥ किंतु अस्पृश्यत्वमात्रम् // 79 // तद्गृह्याणां तद्रव्याणां नाशौचसंबंधः // 80 // स्नेहेन सवर्णनिर्हारे तदन्नाशने तगृहवासे च दशाहः // तदन्नानशने तगृहवासे व्यहः // 81 // अगृहवासेऽन्नभक्षणे निर्हरणमात्रे कृते चैकाहः // 82 // भृतिग्रहणे सवर्णनिर्हारे दशाहे च | For Private and Personal Use Only