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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दिनं परत उत्तरदिनम् // प्राक्सूर्योदयात्पूर्व दिनम् // ऊर्ध्वमुत्तर-1 मिति // पक्षत्रयं देशांतरतो व्यवस्थितम् // महाराष्ट्रदेशे तु आद्यपक्ष एव चरति॥५९॥ इति त्र्यंबकीये आशौचनिर्णयः॥अथाशौचसंपाते निर्णयः॥ तत्र दशाहमृतके दशाहं ततो न्यूनं वा मृतकमुपस्थित भवति तदा पूर्वशेषेण शुद्धिः // 60 // दशाहे सूतके दशाहं ततो न्यूनं वा सूतकं पतति तदा पूर्वशेषेण शुद्धिः // 61 // सूतकमध्ये दशाहं न्यूनं वा मृतकं पतति तदा तस्य न पूर्वेण शुद्धिः॥ तत्र सूतकस्यावशिष्टत्वे तु मृतकसमाप्त्या सूतकमपि समापनीयम् // 62 // त्र्यहादिरूपे मृतके सूतके च दशाहमृतकपाते च दशाह सूतकपाते च न पूर्वेण शुद्धिः॥६३॥ मृतके सूतकस्य समन्यूनस्य वा संपाते पूर्वेण शुद्धिः // 64 // अधिकस्यापि सूतकस्य शुद्धिरिति शुद्धिविवेककारः॥६५॥ पूर्वाशौचमध्ये उत्पन्नमपि पूर्वाशौचोत्तरं ज्ञातं For Private and Personal Use Only
SR No.020712
Book TitleShauchnirnay Trayambakiya
Original Sutra AuthorN/A
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Publication Year
Total Pages22
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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