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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (30) जरतें थाणंदपुर वासीयो॥ १२॥ संघ शत्रुजय न पर चड्यो, फरसंतां पातक जडपडयो ॥ केवलझानी पगलां तिहां, प्रणम्या रायण रूंख ने जिहां ॥१३॥ केवलज्ञानी स्नात्र निमित्त, ईशाने पाणी सुपवि त्त ॥ नदी शत्रुजी शोहामणी, नरतें दीनी कौतुक जणी॥१४॥ गणधर देव तणे उपदेश, इं३ वली दीधो थादेश ॥ आदिनाथ तणो देहरो, बरतें करा व्यो गिरि सेहरो॥ १५ ॥ सोनाना प्रासाद उत्तंग, र नतणी प्रतिमा मनरंग ॥ बरतें श्रीश्रादेसर तणी, प्रतिमा थापी सोहामणी ॥ १६ ॥ मरुदेवीनी प्रति मा वली, माही पूनम थापी रती॥ ब्राह्मी सुंदरी प्रमुख प्रासाद, बरतें थाप्या नवले नाद ॥ १७ ॥ एम अनेक प्रतिमा प्रासाद,नरतें कराव्या गुरुप्रसाद ॥ एह नस्यो पहेलो नदार,सघलोही जाणे संसार॥१७॥ ॥ढाल चोथी॥ राग अाशावरी॥ ॥ नरत तणे पाट आत्मे, दंमवीर्य थयो रायोजी॥ जरत तणी परें संघ कीयो, शत्रुजय संघवी कहायो जी॥ १ ॥ शत्रुज नदार सांजलो, शोल मोहोटा श्रीकारोजी ॥ असंख्याता बीजा वली, ते न कहूँ अधिकारो जी॥श०॥ ॥ चैत्य कराव्युं रूपात', For Private and Personal Use Only
SR No.020710
Book TitleShatrunjay Tirthmala Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirnaysagar Press
PublisherNirnaysagar Press
Publication Year1885
Total Pages96
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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