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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (६५) ॥ अथ ॥ ॥ श्री सिद्धाचलजीनो रास प्रारंभः॥ ॥ दोहा ॥ ॥ श्री रिसदेसर पाय नमी, पाणी मन थाणं द ॥ रास जणुं रलियामणो, शत्रुजय सुखकंद ॥ ॥ १ ॥ संवत् चार सीत्तोतरें,दुवा धनेसर सूर ॥ ति में शत्रुजय महातम कयुं, शीलादित्य हजूर ॥२॥ वीरजिणंद समोसस्या, शत्रुजय उपर जेम ॥ शादि कागल कां, शत्रंजय महातम एम ॥३॥श @जय तीरथ सारिखं, नही ले तीरथ कोय ॥ स्वर्ग मृ त्यु पातालमें, तीरथ सघलां जोय ॥ ४ ॥ नामें नव निधि संपजे, दीवे उरित पलाय । नेटतां नवनय टले, सेवंतां सुख धाय ॥ ५ ॥ जंबूनामें दीप ए, द दिण जरत मजार ॥ सोरत देश शोहामणो, तिहां ने तोरथ सार ॥ ६ ॥ ॥ ढाल पहेली ॥नयरी बारामती॥ ए देशी॥ ॥राग रामग्री॥ ॥ शत्रुजयने श्रीपुंमरिक, सिमखेत्र कहूँ तहकीक । विमलाचलने करुं प्रणाम, ए शत्रुजना एकवीश नाम For Private and Personal Use Only
SR No.020710
Book TitleShatrunjay Tirthmala Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirnaysagar Press
PublisherNirnaysagar Press
Publication Year1885
Total Pages96
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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