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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४२) नवि०॥ ६॥ यति थपूत जिनमंदिर रूडं, साधा वोहोरा केरुं ॥ तेहमां जे षट प्रतिमा वंदे, तेह नाग्य नलेलं ॥ नवि०॥७॥ शामीताचंद लाया जा गुं, पाटण सहेरनां वासी॥ जिनमंदिर सुंदर करी पडिमा, पांच नवी ने खासी॥ नवि०॥ ॥ मुणोत जयमलजीने देहरे, चोमुख जश्ने जुहारूं ॥ प्रतिमा दोय दिगंबर जुवने, निरखी नाखुं सारं ॥ नवि० ॥ ॥ ए॥ षन मोदीयें प्रासाद कराव्यो, तिहां दश पडिमा वंदो ॥ राजसी शाहनां देहरा मांहे, नेट्या शांतिजिणंदो ॥ नवि० ॥१०॥ तीरथ संघ तणो रख वालो, यद कपर्दी कहियें ॥ बोजी मात चक्केसरी वंदी, सुख संपति सदु लहियें ॥ नवि० ॥११॥ न्हाना महोटा जुवन मलीने, बेतालीश अवधारो॥ संख्यायें जिनजीनी पडिमा, पांचशे शोल जुहारो ॥ नवि०॥ १३ ॥णीपरें सघला चैत्य नमीने, नाही सूरजकुंम, जयणायें सुची अंग करीने, पहेरो वस्त्र अखंग ॥ नवि० ॥ १३॥ विधिपूर्वक सामग्री मेली, बहु नपचार संघाते ॥ नानिनंदन पूजी सदु पूजो, जिनगुण अमृत गाते ॥ नवि० ॥ १४ ॥ इति ॥ प्र थम टुंक प्रतिमा संख्या ॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020710
Book TitleShatrunjay Tirthmala Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirnaysagar Press
PublisherNirnaysagar Press
Publication Year1885
Total Pages96
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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