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(४०)
पासें नुवन जिनराजनुं ॥ वि० ॥ तिहां खट प्रतिमा धार॥न ॥ मूर्जा उतारी कीयो ॥ वि० ॥ ते होर बाईयें सार ॥ न० ॥ ७ ॥ कुंअरजी लाधा तणुं ।। वि०॥ दीपे देवल खास ॥ न ॥ तेंत्रीश जिनगुं था पीया ॥ वि० ॥ सहस्त फणा श्रीपास ॥ न ॥ ७॥ विमल वसहियें चैत्य ॥ वि०॥ जून नलिवणिमां चार ॥ न ॥ वली नमति चोमुख वे मनी ॥ वि०॥ तिहां एक्यासी जिनदार ॥ न० ॥ ए॥ नेमीसर चोरी जिहां । वि०॥ तिहां एकसो सीतेर देव ॥ न० ॥ मूल नायकगं वंदीये विणावली लोकनाल ततखेव न ॥ १०॥ विमलवसही पासें अ॥ वि०॥ देहरा दो य निहाल ॥ न०॥ प्रतिमा घाउ जुहारीयें ॥ वि०॥ श्रातम करी नजमाल ॥न॥११॥ पुरस्य पापर्नु पार ॥ वि० ॥ करवाने गुणवंत ॥ न॥ मोद बारी नामे घडे ॥ वि०॥ तिहां पेसी निकसो संत ॥ नः ॥ १२॥ तीरथनी चोकी करे ॥ वि० ॥ वली संघतणी रखवाल ॥ न ॥ करमांशाहें थापीया ॥ वि०॥ सदु विघ्न हरे विसराल ॥ न० ॥१३॥ सघले अंगें शोनता ॥ वि० ॥ नषण जाकजमाल ॥ न०॥ चर णा चोली पेहेरणे ॥ वि० ॥ शोहे घाटडी लाल गु
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