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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir .(३७) तस चैत्यमांत्रण्य शोहातीजी ॥ मु० ॥ ५॥ शाकर बाइनी देहरीयें वंदोजी॥ती॥ सात प्रतिमा निरखी पाणंदोजी ॥ मु० ॥ तिहांथी वली आगल चालो जो॥ ती० ॥ माता विसोतनुं देहरुं नालोजी ॥ मु॥ ॥ ६॥ पण ते वस्तु पालें कराव्युंजी॥ ती० ॥ यात प्रतिमायें सोहाव्युंजी ॥ मु०॥ ते उपर चोमुख रा जेजी ॥ ती० ॥ चार शाश्वता जिन बिराजेजी॥ मु॥ ॥॥उगमणी बे ने देहरी जी॥ ती० ॥ जिनपडिमा इग्यार नलेरोजी ॥१॥ शाहेमचंदनी दखणाती जी॥ ती० ॥ देहरीमा जोडी सोहातीजी ॥ मु० ॥ ७ ॥ शा रामजी गंधारी कीधोजी ॥ ती॥प्रासाद उतंग प्रसिदोजी॥ मु॥ तिहां चौमुख देखी आणंजी॥ ती० ॥ सात प्रतिमा साथें वंजी।मु०॥ ए॥ खट देहरी तस संगेजी॥ ती० ॥ जिन नमीयें तेंतालीश रंगेजी ॥ मु०॥ तिहां चोवीश जिननी मांमोजी ॥ ती० ॥ जिन संगे लेइने ठहाडीजी ॥ मु०॥ १०॥ मूलकोटनी जमती मांहेजी। ती० ॥ फिरती ने चार दिशायेंजी ॥ मु० ॥ पांचशे सडसह सुखकंदोजी॥ ती० ॥ फिरता सघले जिन वंदोजी ॥ मु०॥११॥ मूलकोटना चैत्य निहाले जी॥ ती० ॥ एकशो पां For Private and Personal Use Only
SR No.020710
Book TitleShatrunjay Tirthmala Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirnaysagar Press
PublisherNirnaysagar Press
Publication Year1885
Total Pages96
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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