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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीस्था नाङ्गसूत्र सानुवाद ॥१४७॥ EXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX) भद्रशाल वन मेरुपर्वतनी तलेटी-भूमिमा छे. नंदन अने सौमनस ए ये रम्यवनो मेरुपर्वतनी बे मेखलाए क्रमशः छे. पांडु २ स्थानकवन शिखरथी शोभित छ अर्थात् सर्वथी उपर छे. उपरोक्त शास्त्रना वचनथी मेरुपर्वतना विभागथी वनोना विभाग छ. मेरुपर्व काध्ययने तना पांडुकवननी मध्यमां चूलिका उपर क्रमथी पूर्वादि चार दिशाआने विषे चार शिलाओ छे. अहिं ते संबंधी बे गाथा कहे छ उद्देशः ३ पंडगवणंमि चउरो, सिलाउ चउसुवि दिसासु चूलाए। चउजोयणउस्सियाओ, सव्वज्जुणकंचणमयाओ * अपरवर्णनम् पंचसयायामाओ, मज्झे दीहत्तणऽध्धरुंदाओ । चंदध्धसंठियाओ, कुमुंओयरहारगोराओ ॥ १०१॥ ४९१-९२पांडुकवनमां चारे दिशामां पण चूलिका उपर चारे शिलाओ छे, ते चार योजन ऊंची, श्वत सुवर्णवाळी, पांचसो | ९३ सूत्राणि योजन लांबी अने मध्यमां दीर्घपणा( जाडाई )थी अढीसो योजन पहोळी, अर्धचंद्रना आकारे रहेली अने कुमुद( श्वेत कमल )ना गर्भमा रहेल मोतीना हार समान गौर (स्वच्छ) वर्णवाळी चारे शिलाओ छ. मेरुना उपर चूलिका एटले शिखर विशेष. तेनुं स्वरूप आ प्रमाणेमेरुस्स उवरि चूला, जिणभवणविहसिया दुवी(४०)सुच्चा। बारस अट्ट य चउरो,मूले मझुवरि रुंदाय १०२ मेरुपर्वतनी उपर जिनभवनोथी विभूषित, चालीश योजन ऊंची तथा मूलमां बार योजन पहोळी, मध्यमां आठ |* योजन पहोळी अने उपर चार योजन विस्तारवाळी चूलिका छ. वेदिका सूत्र जंबूद्वीपनी माफक समजबुं. धातकीखंड १. प्रत्यंतरमा कुम्मो०, कुसुमोव० पाठ छे. *॥१४७॥ KXxxxxxxxxxx For Private and Personal Use Only
SR No.020691
Book TitleSthanang Sutram Sanuvadasya
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorAbhaydevsuri
PublisherAbhaydevsuri
Publication Year
Total Pages377
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size19 MB
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