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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir KXXKKKKKKKKKKKXXXXXXXXXXKXKXKXKXXXXXXXX एरवयाइं जाव दो मंदरा दो मंदरचलियाओ, पुक्खरवरस्सणं दीवस्त वेइया दो गाउयाई उड्डमुच्चत्तेणं पन्नत्ता, सव्वेसिपि णं दीवसमुद्दाणं वेदियाओ दो गाउयाई उड्डमुच्चत्तेणं पण्णत्ताओ (२) सू० ९३ मूलार्थ:-जंबूद्वीप नामना द्वीपनी वेदिका बे गाउ ऊंची कहेली छे. लवणसमुद्र, चक्रवालविष्कंभ(गोळनी पहोळाई)| बडे बे लाख योजननो छे. लवणसमुद्रनी वेदिका वे गाउ ऊंची कहेल छे. (सू० ९१). धातकीखंड नामना द्वीपना पूर्वाधमां मेरुपर्वतनी उत्तर अने दक्षिणदिशाए के क्षेत्र कह्या छे. ते बहुसमतुल्य छे यावत् भरत अने ऐवत क्षेत्र, जेम जंबूद्वीपना भरत तथा ऐवतनुं वर्णन कयु छ तेम अहिं पण एवी जरीते जाणवू, यावत् बन्ने क्षेत्रमा मनुष्यो, छ प्रकारना कालना (छ आराना) अनुभावने अनुभवता थका विचरे छे. ते आ भरत अने ऐरवत क्षेत्रमा विशेष ए के-कूटशाल्मली अने धातकी वृक्ष छे. बे गरुल (सुवर्णकुमार जातीय) देव छ ने तेमनां नाम वेणु अने सुदर्शन छ (१). धातकी खंड द्वीपना पश्चिमार्द्धमां मेरुपर्वतनी उत्तर अने दक्षिण दिशाए वे क्षेत्र कह्या छे, ते बहुसमतुल्य छ, यावत् भरत अने ऐवत क्षेत्र, यावत् छ प्रकारना कालना अनुभावने अनुभवता थका विचरे छे. ते भरत अने ऐरवत क्षेत्रमा एटलं विशेष के-कूटशाल्मली अने महाधातकी नामे वृक्ष छे. सुवर्णकुमारजातीय वेणुदेव अने प्रियदर्शन नामना देवो छे. धातकीखंड नामना द्वीपने विषे भरत, ऐरवत, हैमवत, हैरण्यवत, हरिवर्ष, रम्यकवर्ष, पूर्व विदेह, अपरविदेह, देवकुरु, उत्तरकुरु, देवकुरुना महावृक्षो, देवकुरुना महावृक्षना वासी देवो, उत्तरकुरु, उत्तरकुरुना महावृक्षो अने उत्तरकुरुना महावृक्षवासी देवो, ए दरेक बब्बे जाणी लेवा. (२). चुल्लहिमवंत, Kxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx For Private and Personal Use Only
SR No.020691
Book TitleSthanang Sutram Sanuvadasya
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorAbhaydevsuri
PublisherAbhaydevsuri
Publication Year
Total Pages377
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size19 MB
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