SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 259
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX अने दश योजन ऊंडी थाय छे. 'जंबू' इत्यादि शीता महानदी केशरीद्रहना दक्षिण तोरणथी नीकळी, कुंडमां पडीने, मेरुपर्वतना पूर्वथी पूर्व विदेहना मध्यथी विजयद्वारनी नीचेथी पूर्व समुद्रमा प्रवेश करे छे. बाकीनी वधी वक्तव्यता शीतोदा समान जाणवी. नारीकांता नदी तो उत्तरदिशाना तोरणथी नीकळीने रम्यक्षेत्रनो विभाग करती छती हरितमहानदीनी वक्तव्यता प्रमाणे रम्यकवर्षना मध्य भागथी पश्चिम समुद्रमा प्रवेश करे छे. 'एवं मित्यादि० नरकांता नदी महापुंडरकिद्रहमांथी दक्षिण दिशाना तोरणद्वारा नीकळीने रम्यक्वपनो विभाग करती छती, हरिकांतानी वक्तव्यता प्रमाणे पूर्व समुद्रमा प्रवेश करे छे. रूप्यकूला नदी तो महापुंडरीकद्रहना उत्तरदिशाना तोरणथी नीकळीने ऐरण्यवान क्षेत्रना चे विभाग करती छती रोहित नदीनी वक्तव्यता प्रमाणे पश्चिम समद्रमा प्रवेश करे छे. (२), 'जंबू' इत्यादि० 'पवायदह' ति० पडवू ते प्रपात, ते प्रपातबडे ओळखाता जे द्रह ते वे प्रपातद्रह. अहिं ज्यां हिमवान आदि पर्वतथी गंगा वगरे महानदी प्रणाल-पडनाळ(धोध)थी नीचे पडे छे ते प्रपातद्रह एटले प्रपात कंड. 'गंगापवायद्दहे चेव'त्ति० हिमवान वर्षधर पर्वतनी उपर रहेल पद्मद्रहना पूर्व दिशाना तोरणथी नीकळीने, पूर्व सन्मुख पांचसो योजन जइने गंगावर्तन कूटमा ( कूटनी नीचेथी) पाछी वळती छती पांच सो शि योजन अने साडीत्रण कळा संधी दक्षिण दिशा सन्मुख पर्वत उपरथी जइने गंगा महानदी, लंबाइबडे अर्ध योजनप्रमाण, पहोळाईवडे सवाछ योजनवाळी, जाडाईवडे अर्द्धगाउवाळी जीभिकाथी युक्त एवा काडेला मगरना मुख समान धोधवडे कंडक अधिक एकसो योजन प्रमाणवाळा अने मोतीना हारना जेवा प्रपात(ऊंचेथी पडवु, ते)थी जे गंगाप्रपातकुंडमां पड़े छे ते कुंड, साठ योजन लांबो अने पहोळो, कंईक न्यून एकसो नेवु योजननी परिधि(घेरावा)वाळो, दश योजन ऊंचो अने विविध मणि For Private and Personal Use Only
SR No.020691
Book TitleSthanang Sutram Sanuvadasya
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorAbhaydevsuri
PublisherAbhaydevsuri
Publication Year
Total Pages377
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy