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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie श्रीस्थानाङ्गसूत्र सानुवाद ॥८७॥ XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX समयबादरसं० चेव अपढमसमयबादरसं० चेव, अहवा चरिमसमय० चेव अचरिमसमय० चेव २ स्थानका(७), अहवा वायरसंपरायसरागसंजमे दुविहे पं० तं-पडिवाति चेव अपडिवाति चेव, वीयरागसंजमे || ध्ययने उद्देशः१ दुविहे पं० २०-उवसंतकसायवीयरागसंजमे चेव खीणकसायवीयरागसंजमे चेव (८), उवसंतक-* धर्मसंयमो सायवीयरागसंजमे दुविहे पं० तं०-पढमसमयउवसंतकसायवीयरागसंजमे चेव अपढमसमयउव० ७२ सूत्रम् चेव, अहवा चरिमसमय० चेव अचरिमसमय० चेव (९), खीणकसायवीयरागसंजमे दुबिहे पं० तं०-छउमत्थखीणकसायवीयरागसंजमे चेव केवलिखीणकसायवीयरागसंजमे चेव (१०).छउमत्थखी*णकसायवीयरागसंजमे दुबिहे पं० तं०-सयंबुद्धछउमत्थखणिकसाय० चेव बुद्धबोहियछउमत्थखी० चेव (११), सयंबद्धछउमत्थ० दविहे पं० तं०-पढमसमय० चेव अपढमसमय० चेव अहवा चरिम समय० चेव अचरिमसमय० चेव (१२), बुद्धबोहियछउमत्थखीण० दुविहे पं० तं-पढमसमय० चेव है| अपढमसमय० चेव, अहवा चरिमसमय० चेव अचरिमसमय० चेव (१३), केवलिखीणकसायवीय रागसंजमे दुविहे पं० तं०-सजोगिकेवलिखीणकसाय० चेव अजोगिकेवलिखीणकसायवीयराग० चेव ॥८७ For Private and Personal Use Only
SR No.020691
Book TitleSthanang Sutram Sanuvadasya
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorAbhaydevsuri
PublisherAbhaydevsuri
Publication Year
Total Pages377
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size19 MB
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