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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भीस्थान नाङ्गस्त्र सानुवाद XXXXXXXXXXXXxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx बत्तीसा अडयाला, सट्ठी बावत्तरी य बोद्धव्वा । चुलसीई छन्नउई, दुरहिय अट्ठोत्तर सयं च ॥११२॥ ४१. स्थानाउपरनी गाथार्नु विवरण करतां जणावे छे के-ज्यारे एक समये एकथी मांडी उत्कृष्ट बत्रीस सुधी सिद्ध थाय त्यारे ध्यवने बीजे समये पण वत्रीस, एवी रीते सतत आठ समय सुधी बत्रीस सिद्ध थाय छे. ते पछी अवश्य अंतर पडे छे. वळी ज्यारे एक सिद्धभेदह समयमा तेत्रीशथी आरंभीने अडतालीश पर्यंत सिद्ध थाय छे त्यारे निरंतर सात समय सुधी सिद्ध थाय छे. त्यारवाद चोकस अंतर पडे छे. एवी रीते ज्यारे ओगणपचासथी मांडीने यावत् साठ सुधी एक समय सिद्ध थाय छे त्यारे अंतर रहित छ समय पर्यंत ५१ सूत्रम् सिद्ध थाय छे. ते पछी समयादि अंतर थाय छे. एवी रीते अन्य समयोमा पण योजना करवी. यावत् एक सो ने आठ एक समये ज्यारे सिद्ध थाय त्यारे अवश्य समयादि अंतर थाय छे. बीजा आचार्यों तो आ प्रमाणे व्याख्या करे छे-ज्यारे आठ समय सुधी निरंतर सिद्ध थाय छे त्यारे प्रथम समयमा जघन्यथी एक अने उत्कृष्टथी बत्रीश सिद्ध थाय ले. बीजा समयमां जघन्यथी एक अने उत्कृष्टथी अडतालीश सिद्ध थाय छे. तेवी रीते सर्वत्र एक समयमा जघन्यथी एक अने उत्कृष्टथी "बत्तीसे' त्यादि गाथाना भावार्थ प्रमाणे जाणवू एटले के-एक समयमा उत्कृष्टथी बत्रीश, बीजामा अडतालीश, त्रीजा समयमा साठ, चोथामां बोतेर, पांचमामां चोर्यासी, छठामा छन्नु, सातमामा एक सो बे अने आठमा समयमा एकसो ने आठ * एक समयमा उत्कृष्टथी बत्रोश, बीनामां अडतालीश, वीनामां साठ, चोथामा बोंतेर, पांचमामां चोराशी, छठ्ठामा छन्नु, सातमा समयमा एक सो ने बे अने आठमामा एक सो आठ. KKKXKXKKKKKKKKKKKKKKKKXKKKKKKKKKKX For Private and Personal use only
SR No.020691
Book TitleSthanang Sutram Sanuvadasya
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorAbhaydevsuri
PublisherAbhaydevsuri
Publication Year
Total Pages377
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size19 MB
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