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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir A प्रस्तावना श्रीगुणचंद महावीरच. ।। नमामि नित्यं गुरु रामचन्द्रम् ।। प्रस्तावना LA CASTELLIG परमतारकावतंस शासनपति श्रमण भगवान श्री महावीर परमात्मानां सम्यक्त्व प्राप्तिथी आरंभी मोक्षप्राप्ति सुधीनां समग्र जीवनने विस्तारथी वर्णवता आ- महाग्रंथ 'सिरि महावीर चरियं'नी रचना, चांद्रकुलना प्रभावक पुरुष आचार्य देव श्रीमद् गुणचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजे अत्यंत भाववाही शैलीए करी छे. ___ संसार सागरमा परिभ्रमण करी रहेला श्री तीर्थंकरदेवना तारकआत्मानी पण सम्यक्त्व प्राप्त न थाय त्यां सुधी वास्तविक दृष्टिए कोई गणना करवामां आवी नथी. सम्यक्त्व प्राप्तिथी ज ते तारकोना भवोनी गणना शरू थाय छे. तेमा चरमतीर्थपति श्री महावीरप्रभुना श्री नयसारथी प्रारंभीने स्थूल सत्तावीस भवो गणवामां आव्या छे. तारक श्री अरिहंत देवोना आत्मानु तथाभव्यत्व अनादिकाळधी ज विशिष्ट अने लोकोत्तर कोटिनु होय छे. अनेकानेक असाधारणकोटिना | सद्गुणो बीजरूपे तेओमां सूक्ष्म निगोदना अनादिकाळथी ज अस्तित्व धरावतां होय छे. पवननो योग मळता ज अग्नि जेम झडपथी वेग पकडे nnonartertentar For Private and Personal Use Only
SR No.020689
Book TitleMahavir Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNayvardhanvijay
PublisherAhmedabad Paldi Merchant Society Jain Sangh
Publication Year1999
Total Pages696
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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