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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परि० २९] ११३ सूरिविद्यास्तोत्रम् सिरिबम्भलोयवासी सोमणसो नामओ य बहुसत्थो । सेवइ तियसाहिवई सगोयमं मन्तवरराय ॥११॥ अट्टकुलनागराओ सहसफणो सिरनिविट्ठकरमउलो । सेवड धरणिंदो घिय सगोयम मन्तवररायं ॥१२॥ रोहिणिपमुहा देवी चउसद्विसुराहिवा तहा अन्ने । सेवइ गोयमचरणे जक्खा जक्खाण चउघीसं ॥१३॥ कणयमयसहस्तपत्ते कमलम्मि निवेसिओ उ लद्धिजुओ। बहुपाडिहेरकलिओ झायव्यो गोयममुणिंदो ॥१४॥ औं क्राँ ह्रीं श्री एपणं मन्तेणं झाणारंभे ठविज्जए णिच्चं। अंगुलिमुद्दाकरणे सन्निहियसुरस्स समवाओ ॥१५॥ सन्निहियसुरवराणं उस्सग्गो कीरए सुपूया य । कप्पूरधूववासेहिं सव्वहा विहियबम्भवओ ॥१६॥ थोवजलविहियन्हाणो वरवत्थविभूसिओ य तिकालं । कम्मक्खयहेउ जो सुमरइ विज्ज इमं लक्ख ॥१७॥ ॐ किरिपिरिसिरिहिरि आयरिय एयरस मन्तरायस्स । जावं तिलक्खमाणं करेइ जो सो गोयमो होइ ॥१८॥ सोहणपयपरमिट्ठी पवयणसुरही कयंजली चेव । मुद्दापञ्चकमेय कायव्वं सव्वकालच्चं ॥१९॥ किं चिंतामणिकामघेणुकप्पदुमसुंदर नवनिहिचउदसरयणपवरचलित्तणुसहयरु । जा मुणिवइसिरिसूरिविजगोयमसुपइट्टिय भुवणत्तय अक्खलियमहप्प निट्ठियकम्मट्ठय ॥२०॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020681
Book TitleBhairav Padmavati Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK V Abhyankar, Sarabhai Manilal Nawab
PublisherSarabhai Manilal Nawab
Publication Year1937
Total Pages307
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size13 MB
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