SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 39
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३८ | शावर तन्त्र शास्त्र www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लहरि जगाने के मन्त्र (1) मन्त्र - " छ्व मास की परी डंककयाकी करार गराने न तेरी मछिहि काग आवत कागा चरइ भोटे पानि आपरई पीठे सवाभार विष निजवडं अपने उडीठे ॐ नमः शिव विआज्ञा आज्ञा गिद्ध उड़ड़ ऊपर ईश्वर बाहुन भय ठांवहिषंव नोना परिहाथ षंडान के परिडंक उठि ठाढि भइ जागु जागु ईश्वर डुहुरे डंकहाडं कंडा डिगौ बंजरहू लागिकाइ देहांक देत आवे नोना योगिनि डंक उठे बिहसाइते साते समुद्र े माझे षंडी कबीर ववाठे जीव धरवरो आमन्त्रि रहहि जगावं नोना योगिनि पारवती जागु परमइ शतहुहुँरे डंक ।" लहरि जगाने के मन्त्र (२) मन्त्र - " वोह परोस रात सुनु सुनु काल डंक डंक भरें तो मैं मारो सात गद सुरल पांजरराषु एकका काल महेश समन्त्र यहाँ आप कह काटे तौ मनमह चुहुकीके थुकि डारी आन के काटे तो हाथ से ॐ चुहुकार अर्धकार कनुविशनार बार छिछी विशनाहि आपु कह काटे भा आनकह काटे तौ पढि डंक पोछि देई । " पादुका - साधन मन्त्र मन्त्र – “ ॐ नमो भगवते रुद्राय हरितगदाधराय वासय त्रासय चालय चालय स्वाहा ।" साधन-विधि होली दीवाली की रात्रि अथवा ग्रहण के समय ३ लाख संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध होता है । प्रयोग-विधि कौए की आंख, हृदय और जीभ - इनके साथ मैनसिल, सिन्दूर कौंच, मालती के फूल, रूद्रजटा तथा बिदारीकन्द - इन सबको समभाग पीस कर उक्त सिद्ध मन्त्र से ३ बार अभिमन्त्रित कर अपने पाँवों पर लेप करें तो एक सहस्र योजन तक पैदल चलने की सामर्थ्य प्राप्त होती है । For Private And Personal Use Only
SR No.020671
Book TitleShavar Tantra Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Dikshit
PublisherDeep Publications
Publication Year1994
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy