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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रकार हैं शावर तन्त्र शास्त्र | २६१ इन सूत्रों के अनुसार 'वर्गांक' जानना आवश्यक है। वर्गीक निम्न वर्ग के अक्षर अ से अ : तक --- क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न- www.kobatirth.org ५×२+८ ८ बर्गीक | वर्ग के अक्षर ८ ४ ५ अब एक उदाहरण से इसे समझिये प्रश्न - " नरेन्द्र नाम का साधक" सविता त्वासवानाम्" मन्त्र का जाप करना चाहता है तो फलप्रद होगा या नहीं । उत्तर - काकणी के पहले सूत्र के अनुसारसाधक के नाम का वर्गांक ५ मन्त्र के प्रथम अक्षर का वर्गांक = Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प फ ब भ म य र ल व शष सह = शेष बचे २. (साधक की काकणी) araणी का तीसरा सूत्र है "यस्याधिक शेषः सः ऋणी" araणी के दूसरे सूत्र के अनुसार- ८×२+५ २१ . शेष बचे ५ . ( मन्त्र की काकड़ी) ८ ८ वर्गाक ७ ८ ( काकणी के जिसके अंक अधिक (शेष ) हैं वही ऋणी होगा अर्थात् देता रहेगा ) For Private And Personal Use Only इस आधार पर मन्त्र साधक को फलप्रद होगा क्योंकि साधक की काकणी में शेष २ बचे हैं ओर मन्त्र की काकणी में शेष ५ बचे हैं अतः मन्त्र ऋणी है । 'काकणी - गणना' का प्रयोग 'गुरु मन्त्र' के अलावा सामान्य मन्त्रों के ग्रहण करने में भी उचित रहता है ।
SR No.020671
Book TitleShavar Tantra Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Dikshit
PublisherDeep Publications
Publication Year1994
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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