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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २८६ | शावर तन्त्र शास्त्र वाला, प्राकृतिक दृश्यों से आनन्द पाने वाला, साहसी, समुद्र पार देशों से लाभ पाने वाला, लोहे और विद्युत के व्यापार से लाभ कमाने वाला, गहरे जल से जाने का खतरा पाने वाला, जल्दी-जल्दी विचार बदलने वाला समय को न पहचानने के कारण हानि उठाने वाला, आत्म-निर्भर बनकर ही लाभ उठाने वाला, चौंतीसवें वर्ष के बाद से सम्पन्नता में वृद्धि पाने वाला, किसी भी कार्य में जागरूक चेष्टावान और तत्पर रहकर ही सफल होने वाला, जीवन में कई बार धन प्राप्ति और धन हानि के अवसर पाने वाला, सुशील पत्नी की अवहेलना करने वाला, घरेलू कार्यों में दिलचस्पी न लेने वाला, यात्राओं से लाभ उठाने वाला, स्वतन्त्र व्यापार से लाभ कमाने वाला, बड़ी-बड़ी जलमय आँखें सौम्य चेहरा, सलज्ज मधुर और चुम्बकीय व्यक्तित्व वाला, अनेक स्त्रियों के सम्पर्क में आकर भी प्रेम के मामले में अभाग्यवान, हूत की बीमारियाँ पाने वाला, अधिक पसीना निकालने वाली त्वचा वाला, उदर रोग, वात रोग, गुप्त रोग, गठिया, हृदय रोग, फेफड़े के रोग, आदि से व्यथित रहने वाला, अपने ध्यान को एकाग्र कर लेने वाला होता है । इसका ७, १६, २५, ३४, ४३, ५२,६१,७०,७६,८८,६७, वाँ वर्ष परिवर्तन कारी व श्रेष्ठ होंगे । व्यक्ति का जीवन भयंकर संघर्षो मन की थाह न देने वाला, अन्तस्तर की बात न पसन्द करने (८) शनि - इस ग्रह से प्रभावित और उथल-पुथल वाला, दूसरे को अपने मुखी वृत्ति वाला, फूहड़पन और घटिया वाला, छोटे कार्य से सन्तुष्ट न होने वाला, मित्र पर जान देने वाला, प्रेम " पाने के लिये लालायित हृदय वाला दिखावा न करने वाला, सेवा भावी, अर्थ प्राप्ति के लिये कुछ भी कार्य करने को तैयार रहने वाला, लोहे से सम्बन्धित व्यापार या लोहे की फर्म ने नौकरी से लाभ पाने वाला, अधिक हँसी मजाक और गप्पों में समय न गंवाने वाला, व्यर्थ कार्यों में समय व्यतीत न करने वाला, प्रचार प्रसार से दूर रह कर एक मौन चिन्तक जैसे व्यक्तित्व वाला, जीवन में लाभ और हानि अत्यन्त उच्च स्तर के झेलने वाला, शत्रु को परास्त करके ही दम लेने वाला, ठोस और महत्व पूर्ण कार्य करने वाला, गम्भीर प्रकृति वाला, छिछोरापन पसन्द न करने वाला, धार्मिक कार्यों में रुचि न होते हुए भी हर उत्सव को सफल बनाने वाला, कोई भी कार्य करने के लिए खाना-पीना आमोद-प्रमोद त्याग कर भूत की तरह लग जाने वाला, काली वस्तुओं के व्यापार या तेल-तिलहन के व्यापार से भी लाभ पाने वाला, दूसरे के उत्सवों को सफल करने में गांठ का भी लगा For Private And Personal Use Only
SR No.020671
Book TitleShavar Tantra Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Dikshit
PublisherDeep Publications
Publication Year1994
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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