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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र । २८३ वाला और अपने व्यवहार में स्त्रीत्व की झलक देने वाला, संवेदना प्रधान, स्नायु और हृदय सम्बन्धी बीमारियां, उदर रोग पीड़ित, बीमारी के प्रति लापरवाह, फेंफड़े के रोगों से पीड़ित होने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति का १, १०, १६, २८, ३७, ४६, ५५, ६४, ७३, ८२ वाँ वर्ष में श्रेष्ठ रहेगा और २, ११, २०, २६, ३८ ४७,५६, ६५, ७४, ५३ वाँ वर्ष सर्वोत्तम सिद्ध होगा। जीवन के ५, १४, २३, ३२, ४१, ५०, ५६, ६८, ७७ वें अनुकूल नहीं होंगे। ३. बृहस्पति-गुरु ग्रह प्रभावित व्यक्ति साहसी, विद्या ज्ञान एवं धर्म का ज्ञाता, रूढ़िवादिता से ग्रस्त धर्म का परिमार्जन कर आवश्यक जीवन दर्शन के आधार पर अपने धर्म का पालन करने वाला, अपने विचारों को ऐसी विधि से व्यक्त करने वाला कि दूसरा मान जाय, धन को न रोक पाने वाला, स्वार्थी सजावट व ऐश-आराम की वस्तुओं पर अधिक व्यय करने वाला, महत्वाकांक्षी. छोटा पद, छोटा कार्य पसन्द न करने वाला, आकस्पिक धन लाभ अथवा भाइयों से लाभ न प्राप्त करने वाला, चाहे जब स्वेच्छाचारिता की ओर बढ़ जाने बाना, अपने कार्य में हस्तक्षेप न पसन्द करने वाला और न दूसरे के काम में टांग अड़ाने वाला, सरल जीवन व्यतीत करने का इच्छुक, बुद्धिमान उदार हृदय, क्रोधातिरेक में भी विवेक से काम लेने वाला, अखडित तर्क प्रस्तुत करने वाला, एक से अधिक कार्य साथ में करने वाला मित्रों से विश्वासघात पाने वाला, प्रेम के क्षेत्र में एक प्रकार से असफल, सुन्दर सुशील आज्ञाकारिणी पत्नी पाने वाला, बाल्यावस्था में शिक्षा अव्यवस्थित, अर्थाभावलथा पारिवारिक सहयोग न पाने वाला, सरकारी नौकरी से प्रेम करने वाला, मात्राओं से नये अनुभव प्राप्त करने वाला, विशिष्ट व्यक्तियों से सम्पर्क रखने वाला, अनुशासन प्रिय, जीवन के प्रौढ़ावस्था में जाते-जाते यशोभागी बनने वाला, गहन निद्रा वाला. कठोर परिश्रमी होता है । ऐसे व्यक्ति के ३, १२, २१, ३०, ३३, ३६, ४८, ५७, ६६, ७५, ८४, वें वर्ष श्रेष्ठ होंगे। इस ग्रह का प्रभाव क्षीण होने पर गुप्तेन्द्रिय शिथिल होगी और काम वासना प्रबल रहेगी, स्नायविक शिथिलता, चर्मरोग, हृदय रोग, उदर रोग, अक्सर तंग करेगे। चर्बीयुक्त गरिष्ठ भोजन तथा आवश्यकता से अधिक खा लेना सदैव अस्वास्थ्य कर रहेगा। ४. हर्षल-इस ग्रह से प्रभावित व्यक्ति या तो पहाड़ पर रहता है या खाई में; अर्थात् आकस्मिक घटनायें कुछ इस तरह से जीवन में आती हैं कि व्यक्ति या तो पतन के गर्त में जा गिरता है या उन्नत के शिखर पर For Private And Personal Use Only
SR No.020671
Book TitleShavar Tantra Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Dikshit
PublisherDeep Publications
Publication Year1994
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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