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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १६५ साधन-विधि ग्रहण अथवा सिद्धि योग में १०००० की संख्या में जपने से मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि जब रोगी को मगी का दौरा हो, तब इस मन्त्र को कागज पर लिखकर उसके गले में बाँध देने से दौरा समाप्त होकर, रोगी होश में आ जाता है। नेहरुवा का मन्त्र (१) मन्त्र—"बने बिआई अंजनि जायो सुत हनुवन्त नेहरुवा देहरुवा जरि होइ भस्मत गुरू की शक्ति ।" साधन-विधि यह मन्त्र ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि एक, तीन अथवा सात सीके हाथ में लेकर, ७ बार मन्त्र पढ़ कर झाड़ा देने से नेहरुवा रोग दूर होता है। नेहरुवा का मन्त्र (२) मन्त्र-“भांमनसेति योगी भया जने उतोरि नेहरु आकिया न पाकै न फूटे व्यथा करे विरूपाक्ष की आज्ञा भीतरहि सरै।" साधन-विधि मन्त्र संख्या १ के अनुसार। प्रयोग-विधि हर बार २१-२१ बार मन्त्र पढ़कर, ७ बार पानी के छींटा मारने से नेहरुवा नहीं रहता। For Private And Personal Use Only
SR No.020671
Book TitleShavar Tantra Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Dikshit
PublisherDeep Publications
Publication Year1994
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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