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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूत-प्रेत विषयक प्रयोग भूत-प्रेतादि के विषय में आधुनिक वैज्ञानिक अथवा अर्वाचीन संस्कृति के उपासक भूत-प्रेतादि का अस्तित्व ही स्वीकार नहीं करते, परन्तु वास्तविकता यह है कि भूतप्रेतादि के उपद्रवों के प्रमाण विश्व के प्रायः सभी भागों में प्रत्यक्ष मिलते रहते हैं और उन्हें घटित होते हुए देखकर अनास्थावादियों की भी बोलती बन्द हो जाती है । विश्व के प्रायः प्रमुख धर्म-ग्रन्थों में भूत-प्रेतादि का उल्लेख पाया जाता है और उन धर्मों के अनुयायी इसके अस्तित्व को निर्विवाद रूप से स्वीकार करते हैं । भारतीय धर्मग्रन्थों में तो अन्य प्राणियों की भाँति भूतप्रेतादि की भी एक विशिष्ट 'योनि' मानी गई है तथा उसके भेद - उपभेदादि का भी विस्तृत वर्णन किया गया है। जिस प्रकार हिन्दू धर्म में भूत, प्रेत, डाकिनी, शाकिनी, चुडेल आदि की मान्यता है, उसी प्रकार इस्लामी मत में जिन, खईस आदि की विद्यमानता मानी गई है । ये भूत-प्रेतादि पूर्व जन्म की शत्रुता किसी अपराध अथवा अन्य कारणों से जब किसी व्यक्ति विशेष को अपने चंगुल में जकड़ लेते हैं, उस समय उसके शरीर में विभिन्न विकृतियों के जो लक्षण प्रकट होते हैं, उन्हें औषधोपचार आदि से दूर कर पाना असम्भव हो जाता है । उस स्थिति में मन्त्रादि के साधन ही कारगर सिद्ध होते हैं । प्रस्तुत प्रकरण में भूत-प्रेतादि विषयक ऐसे ही मंत्रों का उल्लेख किया गया है । भूत-प्रेत तथा रोगादि नाशक बाबा आदम मन्त्र भूत, प्रेत डाकिनी - शाकिनी देव, दानव, नहरू, उहरू, रक्त पीत मूत्र, आधासीसी, मिरगी आदि अनेक रोग-दोषों को दूर करने के लिए निम्नलिखित 'बाबा आदम मन्त्र' का झाड़ा लाभकारी सिद्ध होता है For Private And Personal Use Only
SR No.020671
Book TitleShavar Tantra Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Dikshit
PublisherDeep Publications
Publication Year1994
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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