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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra शब्द विकलनिक विपाक विपुलमति विभङ्गज्ञान वैक्रियषक वैक्रियसङ्घातननाम वैक्रियाष्टक वैनयिकी व्यञ्जन व्यञ्जनाक्षर व्यञ्जनावग्रह शरीरपर्याप्ति शलाकापल्य शीतस्पर्श विहायोगतिद्विक विहायोगतिनाम वीर्यान्तराय वेद वेदकसम्यक्त्व वेदक वेदनीय वैक्रिय वैक्रियकाययोग वैक्रियकार्मणबन्धननाम ४८ सवलनचतुष्क वैक्रियतैजसकार्मणबन्धननाम ४८ वैक्रियतैजसबन्धननाम ४८ सवलनत्रिक वैक्रियद्विक ५२-९९-१५६ सत्ता वैक्रियमिश्र काययोग १५२ सत्यमनोयोग वैक्रियवैक्रियबन्धननाम ४८ वैक्रियशरीरबन्धननाम सत्यवाग्योग ४६ | सत्यासत्यमनोयोग ५२ | सत्यासत्यवाग्योग ४७ सन्दिग्ध ५२-८६ | सपर्यवसित शीर्षप्रहेलिका शीर्षप्रहेलिका ५८ सङ्घातननाम ३४-९९-१२७-१२८ | सङ्घातश्रुत शुद्ध शुभनाम शुभविहायोगति श्रुतज्ञान श्रुतनिश्रित www.kobatirth.org पत्र. शब्द ९९ संवत्सर श्रुताज्ञान शोक षोडशकषाय संयम १ संस्थाननाम २१ संस्थानषक १२९ संहनननाम ८९-९४ संहननक ४०-५३ | सङ्ख्यात ५- २८-७८ | संज्ञि ३०-१३८ सङ्घातसमासश्रुत ३८-७८-८७ संज्ञाक्षर ४५ संज्ञिद्विक १५१ संज्ञिश्रुत सचलन ११ समचतुरस्र ११ समय १५ समुद्धात ११ सम्पराय ५५-११७ सम्यक्त्व २०१ सम्यक्त्व ५१ सम्यक्त्वत्रिक १९६ सम्यक्त्वत्रिक १५ १९५ | सम्यक् श्रुत ७० सम्यग्मिथ्यात्व ३८ सादिसंस्थान ३४-७८ | साधारणनाम ९९-१२७-१३० सान्निपातिकभाव पत्र. शब्द १९५ सामायिक संयम ४०-४९-७८ सासादन १४१ ९५ | सासादनसम्यक्त्व ४०-४९-७८ | सासादनसम्यग्दृष्टिगुणस्थान ६८ ३०-१४१ ९५ सास्वादन सम्यक्त्व १९९ | सास्वादनगुणस्थान ४०-४७-७८ सितवर्ण ६८ ५० १९ सुभगत्रिक ४१ १९ सुभगनाम १४ सुरगतिनाम १९- ११७- १२७ सुरत्रिक १२४ सुरद्दिक १५ सुरभिगन्ध Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३५-३६ | सुस्वरनाम ८३ सूक्ष्मत्रयोदशक ८८ | सूक्ष्मत्रिक ६७ - ११५ | सूक्ष्मनाम ४० - ५६ | सम्यग्मिथ्यादृष्टिगुणस्थान ५३ सयोगिकेवलिगुणस्थान ७- १२९ साकारोपयोग १० सात वेदनीय १२९ सादिश्रुत १५१ स्तोक १५० | सूक्ष्मसम्पराय १५१ सूक्ष्मसम्परायगुणस्थान १५१ सेवार्त १३ स्त्यानर्द्धि १६ स्त्यानर्द्धित्रिक ४९ स्त्रीवेद १९४ स्थावरचतुष्क ३० | स्थावरनाम ९९-१२७ | स्थावरषक १४२ स्थिति १५५ | स्थिरनाम १६ | स्निग्धस्पर्श १४१ स्पर्शनाम ७० हारिद्रवर्ण ७५ हास्य ३० - १६४ हास्यषङ्क २९ हीयमानक १६ | हुण्ड १५९ | स्थावरदशक १३७ | स्थावरद्विक For Private and Personal Use Only ५० हुहूक ४१-५७ |हुहूकाङ्ग १९० - १९२ | हेतुवादोपदेशिकी पत्र. १३० ९९ ४०-५६ ४३-१२८ ५२ ५२ ५० ४०-५७ १०४ ४१-८४ ४१-५७-११६ १३७ ७२ ४९ १९५ २८ ८० ३८-१२९ ४१-७९ ४१-७८ ९३ ४१-५७ ४१ ३-४ ४०-५६ ५१ ४०-५०-७८ ५० ३७ ३७-७८-८७ २० ५० १९५ १९५ १५
SR No.020663
Book TitleSatikachatvar Karmgrantha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChaturvijay
PublisherJain Atmanand Sabha
Publication Year1934
Total Pages286
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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