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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ए उपरथी ए संभावना थई शके के-संवत् १२८५ पछीना कोई पण संवतमां तेमने सूरिपद अपायुं हशे. सूरिपद ग्रहण समये श्रीदेवेन्द्रसूरि वय, श्रुत, संयम आदि दरेक बाबतमां अतिप्रौढ अने परिणत होवा जोईए. नहि तो अत्यन्त जोखमदार सूरिपदवी अने खास करीने ताजेतरमा ज क्रियाउद्धार करनार तथा उग्र तपश्चर्या करी तपाबिरुद मेळवनार श्रीमान् जगच्चन्द्रसूरिगुरुना गच्छनायक पदना भारने तेओ शी रीते संभाळी शके ?. श्रीदेवेन्द्रसूरिने गच्छना कार्यमा सहायभूत थाय तथा गच्छर्नु संरक्षण थई शके एवा हेतुथी अने श्रीमान देवभद्रगणिना उपरोधथी श्रीमान जगच्चन्द्रसूरिए श्री विजयचन्द्रने सूरिपद अर्पण कर्यु हतुं ए वर्णन गुर्वावलीमां छे. आ उपरथी ए वात तरी आवे छे केश्रीदेवेन्द्रसूरिनी आचार्यपदवी थया बाद श्रीविजयचन्द्रने सूरिपदवी आपवामां आवी हती. श्रीमान् देवेन्द्रसूरिए उज्जयिनीनगरीना रहेवासी श्रेष्ठी जिनचन्द्रना पुत्र वीरधवलने जे वखते तेना लग्न निमित्ते महोत्सव थई रह्यो हतो अने लग्न करवानी तैयारी चालती हती ते वखते प्रतिबोध करी तेना पिता जिनचन्द्रनी सम्मति लई संवत् १३०२ मां दीक्षा आपी हती. त्यार बाद तेमने गुजरात देशना प्रह्लादनपुर (पालनपुर ) नामना नगरमां महोत्सवपूर्वक संवत् १३२३ मां सूरिपदवी अर्पण करी हती, जेओ श्रीविद्यानन्दसूरि ए नामथी प्रसिद्ध थया. श्रीदेवेन्द्रसूरिना जन्म, दीक्षा अने सूरिपदवी विगेरेना समयनो निश्चय नथी तो पण तेओश्री तेरमी शताब्दीना पश्चार्द्धमां अने चौदमी शताब्दीना प्रारंभमां विद्यमान हता ए निर्विवाद छे. ३ जन्मभूमि जाति आदि-श्रीदेवेन्द्रसूरिनो जन्म कया देशमा अने कयी जातिमां थयो हतो ए विगेरेमाटेना उल्लेखो के प्रमाण आज सुधीमां उपलब्ध थयां नथी. गुर्वावलीमा तेओश्रीनुं जे जीवनवृत्तान्त छे ते घणुं संक्षिप्त अने अपूर्ण छे. एमां मात्र सूरिपद ग्रहण कर्या पछीनी केटलीएक बीनाओनुं ज वर्णन करेलुं छे नहि के संपूर्ण. तेम ज तेओश्रीनुं जीवनवृत्तांत ज्या ज्यां आवे छे ए बधुंये अधुरं ज देखाय छे. एटले तेओश्रीना जन्मस्थान, जाति, माता पिता आदि माटे आपणे कशुं ज कही शकता नथी. मात्र गुर्वावली विगेरेना आधारे एटलु जोई शकाय छे के-तेओश्रीनो विहार मोटे भागे माळवा अने गुजरातमा ज थयो छे. आ उपरथी कदाच संभावना करी शकाय के-तेओश्रीनो जन्म गुजरात के माळवा आ बे देशोमांथी कोई पण एक देशमा थयो होय. आथी आगळ वधी जन्म, जाति, माता पिता विगेरे माटे कशुं ज कही शकाय तेम नथी. ४ विद्वत्ता-श्रीमान देवेन्द्रसूरिना प्राकृत अने संस्कृत भाषाना ग्रंथो जोतो तेओश्री एक असाधारण प्रतिभाशाळी अने जैनसिद्धान्तना तेम ज दर्शनशास्त्रना पारंगत विद्वान् १ पत्र ११ श्लोक १०७ जुओ. २ पत्र-१२ श्लोक-१२४-१२५ जुओ. ३ गुर्वावली पन-१५ श्लोक १५३ थी १५६ जुओ. ३ गुर्वावली पत्र-१६ श्लोक-१६४ जुओ. For Private and Personal Use Only
SR No.020663
Book TitleSatikachatvar Karmgrantha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChaturvijay
PublisherJain Atmanand Sabha
Publication Year1934
Total Pages286
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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