SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२ मोदकनुं दृष्टान्त कहेवामां आव्यु छे. आटलं कह्या बाद कयो जीव कई कई जातना बन्धनो खामी होय छे ए कहेवामां आव्युं छे अने छेवटे उपशमश्रेणि अने क्षपकश्रेणिनुं विस्तृत स्वरूप वर्णववामां आव्युं छे. आ मुख्य विषयो सिवाय आ कर्मग्रन्थमां ध्रुवबन्धिनी आदि प्रकृतिओने आश्रीने साधनादि भांगाओगें निरूपण विगेरे अवान्तर अनेक विषयो ग्रन्थकारे वर्णवेला छे. आधार-आचार्य श्रीमान् देवेन्द्रसूरिए पांच कर्मग्रन्थनी रचना करी ते पहेलां आचार्य श्रीशिवशर्म-श्रीचन्द्रर्षिमहत्तर विगेरे जुदा जुदा पूर्वाचार्यों द्वारा जुदे जुदे समये मळी कर्मविषयक छ प्रकरणोनी अथवा बीजा शब्दोमां कहीए तो छ कर्मग्रन्थोनी रचना थई चूकी हती. ए ज छ कर्मग्रन्थो पैकीना पांच कर्मग्रन्थोने आधाररूपे पोतानी नजर सामे राखी आचार्य श्रीदेवेन्द्रसूरिए पोताना कर्मग्रन्थोनी रचना करी छे अने तेथी आचार्य श्रीदेवेन्द्रसूरिना कर्मग्रन्थोने "नव्यकर्मग्रन्थ” तरीके ओळखवामां आवे छे. नव्यकर्मग्रन्थोनी प्राचीनकर्मग्रन्थो साथे तुलना-आचार्य श्रीमान् देवेन्द्रसूरिए जे नव्यकर्मग्रन्थोनी रचना करी छे ए उपर जणाववामां आव्युं तेम स्वतन्त्र नथी पण प्राचीनकर्मग्रन्थोने आधारे करवामां आवी छे. ए रचनामां आचार्य श्रीदेवेन्द्रसूरिए मात्र प्राचीन कर्मग्रन्थोना आशयने ज लीधो छे एम नथी पण नाम, विषय, वस्तुने वर्णववानो क्रम विगेरे दरेके दरेक बाबतमाटे तेमणे तेना आदर्शने पोतानी नजर सामे राख्यो छे ए आपणे एमना कर्मग्रन्थो अने प्राचीनकर्मग्रन्थोना तुलनात्मक निरीक्षण द्वारा समजी शकीए छीए. नाम अने विषय-प्राचीन कर्मग्रन्थोनां नामो अने आचार्य श्रीदेवेन्द्रसूरिकृत कर्मग्रन्थोनां नामोमां लगभग समानता ज छे. जेम आचार्य श्रीदेवेन्द्रसूरिना प्रथम कर्मप्रन्थने कर्मविपाक नामथी ओळखवामां आवे छे तेम ते ज विषयने चर्चता प्राचीन कर्मग्रन्थविषयक प्रकरणने कर्मविपाक नामथी ज ओळखवामां आवे छे. आ रीते आचार्य श्रीदेवेन्द्रसूरिए पोताना नव्य कर्मग्रन्थोनां जे नामो आप्यां छे ते प्राचीन कर्मविषयक प्रकरणो, जेने आधारे तेमणे पोताना नव्य कर्मग्रन्थोनी रचना करी छे, तेने आधारे ज आप्यां छे. प्राचीन कर्मग्रन्थो पैकी बीजा अने चोथा कर्मग्रन्थना नाममां दृश्य रीते सहज फरक नजरे आवे छे, तेम छतां आचार्य श्रीदेवेन्द्रसूरिए पोताना कर्मग्रन्थोने जे नामी ओळखावेल छे ते नामथी एटले के कर्मस्तव अने षडशीति ए नामथी प्राचीन बीजा अने चोथा कर्मग्रन्थने ओळखवामां आवता तो हता ज. प्राचीन बीजा कर्मग्रन्थने तेना कर्ताए मङ्गलाचरणमां बन्धोदयसयुक्तस्तव एबुं नाम १ नमिऊण जिणवरिंदे तिहुयणवरनाणदंसणपईवे । बंधुदयसंतजुत्तं वोच्छामि थयं निसामेह ॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020663
Book TitleSatikachatvar Karmgrantha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChaturvijay
PublisherJain Atmanand Sabha
Publication Year1934
Total Pages286
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy