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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org श्रीजिनदत्तसूरिप्राचीनपुस्तकोद्धारफण्ड (सुरत) ग्रन्थाङ्क : - (४६) अर्हम् । श्रीपूर्वाचार्यविरचितः श्रीसप्तस्मरणस्तवः । श्रीमत्खरतरगच्छाधीश्वर-श्रीअकब्बरशाहि प्रतिबोधक - जङ्गमयुगप्रधान – भट्टारकश्रीमज्जिन चन्द्रसूरि शिष्य - पण्डितप्रवर-महोपाध्याय - सकलचन्द्रगणिशिष्योपाध्याय - श्रीसमयसुन्दर - गणिविरचितव्याख्यया समलंकृतः । अयं जङ्गमयुगप्रधान - भट्टारक- श्रीमज्जिनकृपाचन्द्रसूरीश्वराणां शिष्यरत्नोपाध्यायश्रीसुखसागरोपदेशात्-फलवर्द्धि - वास्तव्य - जबलपुरनगरसंस्थितश्राद्धवर्य - श्रीमत्प्रतापचन्द्र-संपतलालगोलेछा- यतिमोतीचन्द्रफण्डव्यवस्थापक -श्रीयुतरत्नचन्द्रगोलेछा द्रव्यसाहाय्येन मुद्रयित्वा प्रकाशितः । नम्र सूचन इस ग्रन्थ के अभ्यास का कार्य पूर्ण होते ही नियत समयावधि में शीघ्र वापस करने की कृपा करें. जिससे अन्य वाचकगण इसका उपयोग कर सकें. विक्रमसंवत् १९९९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir "* प्रतयः २५० भेट ईस्वी सन् १९४२ पानकोरनाकानिकटवर्तिनि श्रीशारदामुद्रणालये तदधिपतिना देवचन्द्रात्मन पण्डितहीरालालेन अमदावादनगरे मुद्रितम् For Private And Personal Use Only
SR No.020658
Book TitleSaptasmaran Stava
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSamaysundar Gani
PublisherJinduttsuri Gyanbhandar
Publication Year1942
Total Pages59
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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