SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 210
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आचार्यश्री भ्रातृचंद्रसरि ग्रन्थमाळा पुस्तक ५३ मुं, परमगुरुदेवश्री पार्श्वचंद्रसूरीश्वरविरचितश्रीसप्तपदीशास्त्र-गुजरातीभाषानुवाद. अनु. क. प. पू, आ. श्रीसागरचंद्रसूरीश्वरजी महाराज [श्री सामाचारी समाश्रित-सप्तपदीशास्त्रनी अंदर बधी थइने २८७ प्राकृत गाथाओ छे, अने ७० मी गाथा बे छे. ते गाथाओनो विषय जाणवानी खातर संक्षेपथी गुजराती भाषामा अनुवाद-अर्थरूपे प्राकृत-संस्कृत भाषाना अजाण पण आ ग्रन्थनो कांइक लाभ लइ शके ए हेतुथी अने केटलाएक भावुक आत्माओनी प्रेरणा थवाथी पू.आ. श्रीसागरचंद्र सूरिजोए गुजराती भाषानुवाद करेल छे. ते आ छापवामां आवे छे.] ॥ अहम् ।। प्रथम इप्रदेवने नमस्कार करी ग्रन्थकार वस्तनिर्देश करे छ:-अमरेन्द्र अने नरेन्द्रथी सेवाएला छे चरणयुगल जेमना एवा श्रीवीरजिनेन्द्रने नमस्कार करी साधुनी समाचारी सूत्रानुसारे कहीश. सात द्वारना नाम : १-गच्छनी मर्यादा, २-संभोग-असंभोगनो विधि, ३-मुनियोनी दिनचर्या, ४-पांचे प्रतिक्रमणनो विधि, ५उदयतिथिर्नु स्वरूप, ६-श्रावकना उपधाननो विधि, ७-अने For Private And Personal Use Only
SR No.020656
Book TitleSaptapadi Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarchandrasuri
PublisherMandal Sangh
Publication Year1940
Total Pages291
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy