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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org 458 अथर्ववेद का नाम (?) - अथर्ववेद । भृग्वंरािवेद । नहीं है ब्रह्मवेद । तुरीय वेद । 459 आकार में द्वितीय क्रम का- ऋग्वेद । यजुर्वेद । सामवेद । वेद (?) है अथर्ववेद। 460 अथर्ववेद के कांडों की - 15/20/25/301 संख्या (?) है461 संपूर्ण अथर्ववेद का - डॉ. रघुवीर । व्हिटने । अंग्रेजी में अनुवाद (?) रौथ । सूर्यकान्त शास्त्री। ने किया है। 462 अथर्ववेद की पिप्पलाद - डॉ. रघुवीर । पं.सातवलेकर शाखा का संशोधित आचार्य विश्वबंधु । व्हिटने। संस्करण (?) ने प्रकाशित किया है463 बौध्द वैभाषिक दर्शन का - अभिधर्मकोश। सर्वाधिक प्रमाणग्रंथ अभिधर्मन्यायानुसार। अभिधर्मसमय-दीपिका। धम्मपद। 464 भारतीय नृत्यकला का - अभिनयदर्पण । साहित्य उत्कृष्ट ग्रंथ है दर्पण । भावप्रकाशन । नंदिकेश्वरकृत (?) नाटकलक्षणरत्नकोश। 465 (?) ग्रंथ विश्व का प्रथम- अभिलषितार्थचिंतामणि । ज्ञानकोश माना गया है- अभिधानचिंतामणि । विश्वप्रकाश । वस्तुरत्नकोश। 466 अभिलषितार्थ-चिन्तामणि - कल्पद्रुम । मानसोल्लास । का अपरनाम (?) है- विशेषामृत । वाङ्मयार्णव । 467 उमरखय्याम की रुबाइयों - डॉ. सदाशिव डांगे। का प्रथम संस्कृत अनुवाद पं. गिरिधर शर्मा । भट्ट (?) ने किया। मथुरानाथ । क्षमादेवी राव। 468 अमरुशतक के प्रथम - वेमभूपाल । चतुर्भुज मिश्र । टीकाकार (?) थे- अर्जुनवर्मदेव । रामरुद्र । 469 काव्यप्रकाश में - 51/61/71/811 मम्मटाचार्यने कुल (?) अलंकारोंका विवेचन किया है470 छह वेदांगों में (?) - शिक्षा । कल्प । व्याकरण। अन्तर्भूत नहीं है। योगशास्त्र। 471 छह वेदांगो में (?) - निरुक्त । छंद । ज्योतिष। अन्तर्भूत नहीं है- मीमांसा। 472 परंपरा के अनुसार - राम के भ्राता । शकुन्तलाके हिंदुस्थान का भारत नाम पुत्र । ऋषभदेव के पुत्र । (?) के कारण हुआ- नाट्यशास्त्र के निर्माता । 473 भारत का प्राचीनतम - आर्यावर्त । अजनाभवर्ष । नाम (?) था- ब्रह्मावर्त । कर्मभूमि । 474 भाषाविज्ञान की दृष्टि से - डॉ. रघुवीर । भोलाशंकर संस्कृत का अध्ययन व्यास । सुनीतिकुमार चॅटर्जी करनेवाले (?) श्रेष्ठ राहुल-सांकृत्यायन । आधुनिक विद्वान है475 भारतकी कल बोलिया - 1650/1750/ (?) से अधिक मानी - 1850/19501 गई है। 476 भारत के द्राविड भाषा - 160/170/180/1901 कुल में (?) से अधिक भाषाएँ है। 477 अर्थालंकारों का विभाजन - 3/4/5/61 सर्वप्रथम रुय्यक ने (?) वर्गों में किया है। 478 राजानकरुय्यक के ग्रंथ - अलंकारशेखर । अलंकारका नाम (?) था- संग्रह । अलंकारसर्वस्व। अलंकारसूत्र। 479 रुय्यक-कत अर्थालंकार - जयरथ । राजानक अलक। सर्वस्व के टीकाकार विद्याधर चक्रवर्ती । केशव (?) नहीं है मिश्र। 480 रुय्यककृत अर्थालंकार के- सादृश्य वर्ग । विरोध वर्ग। वर्गों में (?) वर्ग न्यायमूलवर्ग । नानार्थवर्ग। नहीं है। 481 दक्षिणभारत में विशेष - सायणाचार्यकृत अलंकार प्रचलित साहित्यशास्त्रीय सुधानिधि । सुधीन्द्र कृत ग्रंथ (?) है। अलंकारसार । अमृतानंद योगीकृत अलंकारसंग्रह। यज्ञनारायण दीक्षित कृत अलंकार-रत्नाकर। 482 क्षेमेन्द्र की अवदान - श्रीलंका । नेपाल । तिब्बत । कल्पलता (?) में विशेष जापान । प्रचलित है। 483 (?) की रचना पुत्र ने - बाणकृत कादम्बरी । क्षेमेन्द्र पूर्ण नहीं की कृत अवदानकल्पलता। कालिदास-कृत-कुमारसंभव । वल्लभाचार्यकृत अणुभाष्य। 484 हीनयान पंथ का दिव्यावदान । कल्पद्रुमावदान प्राचीनतम अवदान ग्रंथ अवदानशतक। (?) है। विचित्रकर्णिकावदान। 485 अवदानशतक का प्रथम - सिंहली । चीनी । जापानी। अनुवाद (?) भाषा में भोट । हुआ। 486 अवधूतगीता (?) - लिंगायत । नाथ । दत। संप्रदाय में प्रमाण मानी दिगम्बर । जाती है नहीं है 16 / संस्कृत वाङ्मय प्रश्नोत्तरी For Private and Personal Use Only
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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