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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छत्रे (20) विश्वेश्वर भट्ट (गागाभट्ट काशीकर) (17) शेवालकर शास्त्री शेषकृष्ण श्रीपतिभट्ट अभिनवमेघदूतम्, रघुनाथतार्किकशिरोमणिचरितम्, पूर्णानन्दचरितम् : प्रक्रियाकौमुदी की व्याख्या। : सिद्धांतशेखर, ज्योतिषरत्नमाला। : अहल्याचरितम्। वेलणकर, श्रीराम भिकाजी सखाराम शास्त्री भागवत (19) सदाशिव दशपुत्र सहस्रबुद्धे साकुरीकर (महाकाव्य), गोदालहरी, इत्यादि. शिवार्कोदय, दिनकरोद्योत, निरुढप्रतिबन्धप्रयोग, पिण्डपितृप्रयोग, कायस्थधर्मप्रदीप, सुज्ञानसूर्योदय, शिवराजाभिषेकप्रयोग, कुसुमांजलि, भाट्टचिन्तामणि संगीत सौभद्रम् (अनुवाद), छत्रपतिः शिवराजः, श्रीलोकमान्यस्मृतिः, कालिदासचरितम्, संगीत कालिन्दी, कैलासकम्पः, स्वातंत्र्यलक्ष्मी, राज्ञी दुर्गावती, मेघदूतोत्तरम्, आषाढस्य प्रयमदिवसे, कल्याणकोष, हुतात्मा दधीचि, तनयो राजाभवति कथं मे, नियतिलीला, स्वातंत्र्यमणि, बालगीतं रामचरितम्, तत्त्वमसि, अवनिदमनम्, दूषणनिरसमम्, (सभी रुपक), जीवनसागर, जयमंगला (अनुवाद) : आचारामृतसार। : काकदूतम् : गीर्वाणकेकावली (मूल- मोरोपंतकृत)। : गोज्ञानकोश। सातवळेकर श्रीपाद दामोदर सोवनी व्यं.वा. (19-20) हरि दीक्षित : शिवावतारप्रबन्ध । हरिरामशास्त्री शुक्ल : लघुशब्दरत्न और बृहत्शब्दरत्न (प्रौढमनोरमाटीका)। : सुषमा (सांख्यतत्त्वकौमुदी की व्याख्या)। धर्मसंग्रह। : शारीरं तत्त्वदर्शनम् (वातादिदोशविज्ञानम्) समीश्रा-टीकासहित। : संस्कृतानुशीलनविवेक। हरिश्चन्द्र (19) हिर्लेकर पुरुषोत्तम सखाराम शंकर नीलकंठ हुपरीकर, गणेश श्रीपाद हेमाद्रि (हेमाडपंत) (13) : शंकरभट्ट (16-17) शंकरशास्त्री मारुलकर : कुण्डार्क (टीका वासुदेवशास्त्री द्वारा)। द्वैतनिर्णय, धर्मप्रकाश, शास्रदीपिका टीका। शांकरी (वैयाकरणभूषण की टीका) बुधभूषणम्। आयुर्वेदसायन (अष्टांगहृदय की टीका), कैवल्यदीपिका (बोपदेव कृत मुक्ताफल की टीका), चतुर्वर्गचिन्तामणि। : शंभुराज(17) (संभाजी महाराज) शाङ्गिधर (13) शिवदीक्षित (18) शिवरामशास्त्री शिंत्रे शेवडे, वसंत त्र्यंबक परिशिष्ट (18) राजस्थान के ग्रंथकार और ग्रंथ : संगीतरत्नाकर धर्मतत्त्वप्रकाश। वेदांगनिघण्टु। श्रीभारतीशतकम्। वृत्तमंजरी, विन्ध्यवासिनीविजयम्, शुंभवधमहाकाव्यम्, श्रीकृष्णचरितम्, स्तवमंजूषा, वर्तमान 'राजस्थान' राज्य की निर्मिति स्वराज्य निर्मिति के बाद हुई है। प्राचीन काल में इस प्रदेश के अन्तर्गत कुरू, जांगल, सपादलक्ष, मत्स्य, शिबि, वार्गट, मरू, वल्ल, गुर्जरत्रा, अर्बुद, इन नामों से उल्लिखित राज्यों का अन्तर्भाव होता था। मध्ययुग में जयपुर, बीकानेर, जोधपूर, बूंदी,कोटा, जैसलमीर, मेवाड, उदयपुर, अलवर, डूंगरपुर, इत्यादि छोटे छोटे राज्य संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड / 511 For Private and Personal Use Only
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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