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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महत्त्वपूर्ण ग्रंथों की सूची है। यह परिशिष्ट इंटरनॅशनल संस्कृत कॉन्फरन्स-1972 के प्रथम खंड में प्रकाशित डॉ. जयमन्त मिश्र के निबन्ध पर मुख्यतः आधारित है। कोष्टक में लिखित अंक शताब्दी के द्योतक है। __ ग्रंथ वाक्पतिराज : गौडवहो (प्राकृतमहाकाव्य) वातुलनाथ : वातुलनाथसूत्र वामन(8-9) : काव्यालंकारसूत्र वामन और जयादित्य : काशिकावृत्ति) (8-9) (अष्टाध्यायी पर) विद्यापति (शिवाद्वैती) : - विश्वावर्त (12) शंकरानन्द(11) : प्रमाणवार्तिक टीका, प्रज्ञालंकार। शम्भुनाथ शाङ्गदेव (12) : संगीतरत्नाकर (महाराष्ट्र के निवासी) शितिकण्ठ(16) शिवस्वामी(9) : कफिणाभ्युदयम् शिवानन्द(1)(9) : शिवानन्द (2)(12) श्रीकण्ठ(11) : रत्नत्रयम् श्रीनाथ श्रीवत्स (13) संघभूति (बौद्धाचार्य (5): सद्योज्योतिः (9) : नरेश्वरपरीक्षा, (शैवाचार्य) भोगकारिका, मोक्षकारिका सहदेव(9) : काव्यालंकारसूत्र की टीका साहिब कौल(17) देवीनामविलास स्तोत्र सिद्धनाथ (9-10) : कर्मस्तोत्रम् सूत्रधारमंडन : प्रासादमंडन (शिल्पशास्त्रविषयक) सोमानन्द : परात्रिंशिका विवरणम्, शिवदृष्टि हेलाराज : वाक्यपदीय की टीका * [प्रस्तुत परिशिष्ट में कुछ ग्रंथकारों के ग्रंथ अज्ञात होने के कारण ग्रन्थों का नामोल्लेख नहीं है।] ग्रंथकार अग्निधर(19) : विजयतिलककाव्य अज्ञात : कालोत्तरतंत्र काशीनाथ मैथिल (17): यदुवंशमहाकाव्यम् कुमारमांधातासिंह : गीतकेशवम् महाराज (17) कुलचंद्र गौतम श्रीमद्भागवतमंजरी, हरिवरिवस्या, वंदनयुगुलम्, कृष्णकर्णाभरणम् कृष्णप्रसाद शर्मा श्रीकृष्ण चरितामृत, धिमिरे (20) नाचिकेतसम्, वृत्रवधम् और यायतिचरितम् (चार महाकाव्य), मनोयानम्, श्रीराम-बिलापम्, पूर्णाहुतिनाटक, महामोहनाटक, श्रीकृष्ण-गद्यसंग्रह, श्रीकृष्ण पद्यसंग्रह, सत्सूक्ति-कुसुमांजलि, संपातिसन्देशम् (कुल 12 ग्रंथ) केशव दीपक (20) : जयतु संस्कृतम् (पत्रिका) सपादक गेरवन युद्धविक्रम शाह : वाजिरहस्य-समुच्चय गोविन्दशील वैद्य (12) : योगसारसमुच्चय चक्रपाणि शर्मा (18) : चक्र-पाणिचर्चा चूडानाथ भट्टराय (20): परिणाम नाटक छबिलाल सूरि (19) : विरक्तितरंगिणी, सुंदरचरित नाटक, कुशलवोदयनाटक, वृत्तालंकार जगज्जोतिर्मल्ल स्वरोदयदीपिका महाराज (17) (नरपतिजयचर्यापर टीका) नागरसर्वस्व (कामशास्त्रविषयक), श्लोकसारसंग्रह, संगीतसारसंग्रह जयप्रतापमल्ल नृत्येश्वर दशक, महाराज(17) नरसिंह अवतार स्तोत्रम् (इनके अतिरिक्त इनके तीन शिलालेख नेपाल में विद्यमान है। जयराज (म) शर्मा : धर्मशतकम्, अर्थशतकम्, पाण्डेय (20) विवेकशतकम् परिशिष्ट (10) नेपाल के ग्रंथकार और ग्रंथ राजकीय दृष्टि से नेपाल भारत से पृथक् राज्य है किन्तु सांस्कृतिक दृष्टि से वह भारत का एक अंग ही है। नेपाल एक हिन्दुराज्य है। संस्कृत ही हिंदुसंस्कृति की एकात्मता रखनेवाली एकमात्र प्राचीन भाषा होने के कारण भारतवर्ष के अंगभूत अन्यान्य राज्यों के समान, नेपाल राज्य में भी संस्कृत की सेवा अतिप्राचीन काल से आज तक चल रही है। प्रस्तुत परिशिष्ट में नेपाल के प्रमुख ग्रंथकार एवं उनके द्वारा रचित संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड/465 For Private and Personal Use Only
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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