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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रदेशानुसार ग्रंथकार-ग्रंथ नामसूची अतिप्राचीन काल से संस्कृत भाषा में वाङ्मय निर्मिति समग्र भारतवर्ष में होती आ रही है। संस्कृत वाङ्मय अखिल भारत का निधि होने से उस में किसी प्रकार की प्रादेशिकता की संकुचित भावना नहीं दिखाई देती। फिर भी आधुनिक विद्वानों की जिज्ञासा में प्रादेशिकता हो सकती है। आधुनिक भारत में, स्वराज्य प्राप्ति के बाद जो भाषानिष्ठ प्रदेशरचना राज्यव्यवस्था की सुविधा के लिए हुई है तदनुसार, संस्कृत वाङ्मय के ग्रंथकारों का वर्गीकरण आगे के परिशिष्टों में किया । है। इन परिशिष्टों से किस प्रदेशों में कितना और किस प्रकार का वाङ्मय निर्माण हुआ, इस की कुछ कल्पना जिज्ञासुओं को आ सकेंगी। इन परिशिष्टों में सभी ग्रंथकारों का अन्तर्भाव नहीं हुआ और जिनका अन्तर्भाव हुआ है उनके कुछ प्रमुख ग्रंथों का ही निर्देश हुआ है। निर्दिष्ट ग्रंथकार एवं उनके ग्रंथों का परिचय कोश की प्रविष्टियों में यथास्थान मिलेगा। प्रदेशों का निर्देश अकारादि अनुक्रम से किया है। ग्रंथकारों के नामनिर्देश के साथ उनके आविर्भाव की शताब्दी का निर्देश कोष्टक में किया है। ग्रंथ के स्वरूप (काव्य, नाटक, चम्प. धर्मशास्त्र आदि) का निर्देश ग्रंथनाम के आगे कोष्टक में किया है। संपादक परिशिष्ट-(1) असम राज्य के ग्रंथकार और ग्रंथ आज के असम तथा समीपवर्ती मणिपुर, मेघालय, अरूणाचलप्रदेश इत्यादि सात राज्यों में अन्तर्भूत प्रदेश का निर्देश प्राचीन वाङ्मय में कामरूप, प्राग्जोतिष इत्यादि नामों से मिलता है। लौहित्या या ब्रह्मपुत्रा इस प्रदेशों की महानदी है। कई स्थानों पर 'असम' नाम का भी निर्देश मिलता है। इस प्रदेश में कोच वंशीय तथा अहोमवंशीय राजाओं द्वारा संस्कृत विद्या का संरक्षण दिया गया। ग्रंथकार ग्रंथ अज्ञात : कालिकापुराण अज्ञात : बृहद्गवाक्ष (तंत्रशास्त्र) अज्ञात : स्वल्पमत्स्थपुराण अज्ञात योगिनीतंत्र अज्ञात कामरूपीयनिबंधीय खण्डसाध्य (ज्योतिष) अनंगकविराज (18) : वैद्यकल्पतरु आद्यनाथ : जातकप्रदीप भट्टाचार्य (20) आनंदराम बरूआ (19): जानकी-रामभाष्य (भवभूतिकृत महावीरचरितम् पर) कविचन्द्रद्विज (18) : कामकुमारहरणम् (नाटक) कविभारती (14) : मखप्रदीप (धर्मशास्त्र) कामदेव वैद्यकल्पद्रुम कामिनीकुमार रवीन्द्रनाथ टैगोर कृत अधिकारी (20) गीतांजलि एवं ऊर्वशी के अनुवाद कृष्णदेव मिश्र (17) : संवत्सर-गणना (ज्योतिष) केयदेव : प्रयोगसागर (आयु.) गदसिंह : किरातार्जुनीय की टीका गोविन्ददेव : व्यवस्थासार समुच्चय शर्मा (19) : (धर्मशास्त्र) गौरीनाथ द्विज (१८) : विघ्नेशजन्मोदयम् (कविसूर्य) (नाटक) घनश्याम शर्मा (20) : ज्योतिषजातकगणनम् चक्रेश्वर भट्टाचार्य (20) : शक्तिदर्शनम् चन्द्रकान्त विद्यालंकार : शब्दमंजरी (शब्दप्रामाण्य (20) विषयक निबंध) जनमेजय सौंदर्यलहरीस्तोत्र की टीका जयकृष्ण शर्मा : प्रभा-प्रकाशिका (प्रयोगरत्नमाला-व्याकरण की टीका) जोगेश्वर शर्मा (20) : द्रव्यगुणतरंगिणी दामोदर : किरातार्जुनीय-टीका दामोदर मिश्र (14) : ज्योतिषसारसंग्रह स्मृतिसारसंग्रह दामोदर मिश्र (15) : सुव्यक्तपंजिका (हस्तामलकस्तोत्र टीका) गंगाजलम् (धर्मशास्त्र) 450 / संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड For Private and Personal Use Only
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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