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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra संस्कृत वाङ्मय के क्षेत्र में अन्यान्य विषयों का परामर्श लेने वाले विविध ग्रंथों के कुछ ग्रंथकारों का नाम निर्देश तो हुआ है, परंतु उनके द्वारा लिखित एक भी ग्रंथ का नाम उपलब्ध नहीं होता । कुछ ग्रंथों के नाम मिलते हैं परंतु अभी तक वे ग्रंथ उपलब्ध नहीं हो सके। इसी प्रकार कुछ ग्रंथ प्राप्त हुए हैं परंतु उनके लेखकों के नामों का पता न चलने के कारण, उनका उल्लेख करने वाले समीक्षकों ने यत्र तत्र 'लेखक अज्ञात' इस शब्द का प्रयोग प्रायः सर्व स्थानों पर किया है। प्रस्तुत कोश के मूल कलेवर में केवल तंत्रशास्त्र तथा धर्मशास्त्र विषयक अज्ञात लेखकों के 'ग्रंथों' का निर्देश किया है। इन दो शास्त्रों पर लिखित छोटे बड़े ग्रंथों की संख्या अत्यधिक होने के कारण केवल उन दो शास्त्रों के अज्ञातकर्तृक ग्रंथों का अन्तर्भाव मूल कोश में करना हमने उचित समझा। अन्य अज्ञातकर्तृक ग्रंथों की स्वतंत्र सूची इस परिशिष्ट में दी जा रही है। इस सूची में ग्रंथ नाम के अतिरिक्त जो अल्प स्वल्प जानकारी ग्रंथों के विषय में प्राप्त हुई, वह भी निर्दिष्ट की है। तंत्रशास्त्र और धर्मशास्त्र विषयक ग्रंथों के नाम इस सूची में अंतर्भूत किए जाते तो यह परिशिष्ट बहुत ही बढ जाता। उस विस्तार को टालने के एकमात्र हेतु से यह संक्षिप्त परिशिष्ट दिया जा रहा है। अनंगतिलक विषय- कामशास्त्र । अनंगदीपिका विषय- कामशास्त्र । विषय- अभिनयकला । अनंगशेखर अंगहारलक्षणम् अभिनयलक्षणम् - विषय अभिनयकला । अभिनयादिविचार- विषय अभिनयकला । आलोक जगन्नाथचक्रवर्ती कृत तंत्रप्रदीप की टीका । आदिभरतप्रस्तार - विषय- संगीतशास्त्र । - - विषय- कामशास्त्र । - - www.kobatirth.org (परिशिष्ट) अज्ञातकर्तृक- ग्रंथ - इंग्लंडीय भाषाव्याकरणम् मूल अंग्रेजी व्याकरण ग्रंथ का अनुवाद। ई. 1847 में प्रकाशित। - इतिहासतमोमणि इ. 1813 में लिखित काव्य में अंग्रेजों के भारतविजय का क्रमशः वर्णन है। इतिहासदीपिका 5 प्रकरणों के इस ग्रन्थ में टीपू सुलतान और मराठों का युद्ध वर्णित है। ईश्वरप्रत्याभिज्ञाविमर्शिनी श्लोक 3500 इसे चतुःसाहस्त्री भी कहते हैं। विषय- काश्मीरी शैव दर्शन । ऋतुमतीविवाह-विधि - निषेधप्रमाणानि विषय- धर्मशास्त्र । ओष्ठशतकम् ओष्ठविषयक खंडकाव्य । ओष्ट्यकारिका - इस 6 कारिकाओं के धातुपाठ में "प" वर्गीय "ब" वर्णान्त धातुओं का संग्रह है। कम्पनीप्रतापमण्डनम् विषय सप्तम एडवर्ड का महत्त्व । करिकल्पलता विषय पशुविद्या केक्टेश्वर प्रेस, मुंबई से । प्रकाशित । कर्मशतकम् - आचार्य नंदीश्वरकृत अवदान शतक से इसकी समानता है। प्राचीन अवदान कृति । कर्मसम्बन्धी 100 कथाएं । मूल रचना अप्राप्य । तिब्बती अनुवाद से ज्ञात । कल्पद्रुमावदानमाला महायान सम्प्रदाय की रचना समयई. 6 वीं शती । अवदानशतक तथा अन्य स्रोतों से संग्रहीत अवदानों का काव्यमय वर्णन। समस्त अवदानमाला अशोक तथा गुरु उपगुप्त के संवाद रूप में है। अवदानशतक से भिन्न । कल्याणनैषधम् - कविचिन्तामणि कविकण्ठपाश विषय अक्षरों तथा उनके समूह का मंगल अर्थ तथा छन्दः शास्त्रीय रचना । - काकदूतम् - कारागृह से एक पापी ब्राह्मण का अपनी प्रेयसी मदिरा को कौए के द्वारा संदेश भेजता है जिस में नीतिपर वचन आते हैं। - काकशतकम् कामन्त्रम्- 14 अध्याय । कालिन्दीमुकुन्द-चम्पू Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - For Private and Personal Use Only कालीपद्धति- श्लोक- 1500 काश्यपकृषिसंहिता अड्यार ग्रंथालय में सुरक्षित । काश्यपीयसंहिता इसमें जुबन्ध और मृत्संस्कार नाम के केवल दो ही पटल हैं। श्लोकसंख्या- 80 1 कुण्डकल्पद्रुमटीका यह माधव शुक्ल कृत कुण्डकल्पद्रुम पर टीका है। इसमें स्थान स्थान पर विविध तंत्रग्रंथों के नाम कुचिमारतन्त्रम्- कामशास्त्र के अन्तर्गत णलेपनादि औषधि प्रयोग तथा उनका उपयोग इसका विषय है। - कुमाराभ्युदयचम्पू कुमारोदयम्पू कृष्णानंदलहरी कृष्णलीलामृतम् - इस पर अच्युतराय मोडक की टीका है। - संस्कृत वाङ्मय कोश ग्रंथ खण्ड / 431
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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