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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सपिण्डीकरण की आवश्यकता। सपर्याक्रमकल्पवल्ली- ले. - श्रीनिवास। श्लोक 1000 5 स्तबकों में पूर्ण विषय श्रीचण्डिका देवी की पूजा का क्रम । सपर्यासार ले. काशीनाथ भट्टाचार्य। श्लोक-लगभग 1130 | सपिण्डीकरणनिरासम्- ले. घट्टशेषाचार्य । धर्मशास्त्रीय विषय पर एक ललित नाटक । सपिण्डाले www.kobatirth.org तर सप्तपदार्थी ले. शिवादित्य। ई. 10 वीं शती। इस ग्रंथ में वैशेषिक और नैयायिक सिद्धान्तों का समन्वय करने का प्रयास लेखक ने किया है। लक्षणमाला नामक अन्य ग्रंथ भी शिवादित्य ने लिखा हैं। 1 1 सप्तपदार्थी टीका ले भावसेन द्यि जैन ई. 13 वीं श सप्तपरमस्थानकथा - ले. श्रुतसागरसूरि जैनाचार्य । सप्तपाकयज्ञशेष- ले. चार प्रश्नों में विभक्त । प्रत्येक प्रश्न अध्यायों में विभक्त है। सप्तपाकसंस्थाविधि ले. दिवाकर महादेव के पुत्र । विषय- श्रवणाकर्म, सर्पबलि, आजी, आपण अटका एवं पार्वणश्राद्ध । सप्तपारायणविषय उत्तरशनार्णव से गृहीत श्लोक 180 नाथपारायण, घटिकापारायण, तत्वपारायण, नित्यपारायण, मंत्रपारायण, नामपारायण, अंगपारायण, ये 7 पारायण हैं। विषयनौ गफ शक्ति का आविर्भाव तत्व, देवीमन्त्र शक्ति के नाम और सहायक मन्त्र, इन सातों की पारायण विधि इसमें प्रतिपादित है। सप्तर्षिपूजा - ले. ब्रह्मजिनदास जैनाचार्य। ई. 15 व 16 वीं शती । सप्तर्षिसंमतस्मृति 36 पदों में पूर्ण सात ऋषि वसिष्ठ, कौशिक, पैंगल, गर्ग, कश्यप एवं कण्व । सप्तव्यसनकथासमुच्चय- ले. आचार्य सोमकीर्ति । सप्तशती (अपरनाम, दुर्गासप्तशती, चण्डी, देवीमाहात्म्य) मार्कण्डेय पुराणान्तर्गत अध्याय 81.93 इसमे 567 श्लोकों का 700 श्लोकों में तथा 13 अध्यायों में विभाजन किया है। विषय- महाकाली, महासरस्वती और महालक्ष्मी का चरित्र वर्णन। देवी के उपासक नवरात्रादि पर्वों पर इस ग्रंथ का पारायण करते हैं। सप्तशती ले कुमारमणि भट्ट ई. 18 वीं शती । सप्तशतीकवचविवरणम्- ले. नीलकण्ठ भट्ट । पिता- रंगभट्ट । सप्तशतिकाविधानम्- ताराभक्ति-तरंगिणी के अंतर्गत श्लोक 1 1781 I सप्तशतीगुरुचरित्रम् दत्तात्रेय कथा | 390 / संस्कृत वाङ्मय कोश ग्रंथ खण्ड - ले. वासुदेवानन्द सरस्वती। विषय सप्तशती चण्डीस्तोत्रव्याख्यानम् (चण्डीस्तोत्रप्रयोगविधि) ले. नागोजी भट्ट । पिता शिवभट्ट । श्लोक- 5921 सप्तशतीध्यानम् ले श्लोक 13601 सप्तशतीपाठादिविधि - श्लोक- 1001 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1 प्रारंभ में एक निर्दिष्ट है। के पुत्र | सतप्रयोग ले. विमलन्दनाथ श्लोक 3701 सप्तमीपत्र प्रयोगविधि- ले. नागोजी भइ श्लोक 3001 सप्तशती मन्त्रविभाग- ले. नागोजी भट्ट । श्लोक- लगभग 565। लिपिकाल 1764 शकाब्द | सप्तशतीमन्त-व्याख्या - शिवराम श्लोक- 300 । सप्तशतीमन्त्रहोम-विभागकारिका- ले. कण्व गोविन्द । सप्तशत्यंगपदक- व्याख्यानम्- ले. शैव नीलकण्ठभट्ट। पिताभट्ट वनाथ विषय- सप्तशती के छह अंग कवच, अर्गला कीलक तथा रहस्यत्रय की नास्ता प्रस्तावना है जिस में शक्ति की पूजा का वासविक सप्तसंस्थाप्रयोग- ले. अनन्त दीक्षित । विश्व (2) ते. बालकृष्ण पिता महादेव! सप्तसुसंन्यासपद्धति संन्यास करने एवं तीर्थ आश्रम, वन, अरण्य, गिरि, पर्वत, सागर, सरस्वती, भारती एवं पुरी) संन्यासियों एवं ब्रह्मा से शंकराचार्य तक के 10 महापुरुषों के विषय में प्रतिपादन सप्तसन्धान-महाकाव्यम् ले. जैन मनि विजय गणी। इस सप्तार्थक काव्य में पांच जैन तीर्थकर, कृष्ण तथा बलराम के चरित्रवर्णन हैं। पूर्व कवि हेमचन्द्र सूरि की सप्तार्थक रचना विलुप्त होने से इसकी रचना करने की प्रेरणा लेखक को मिली। सभापति- विलासम् (नाटक) ले. वेइकटेश्वर ई. 18 वीं | शती । प्रथम अभिनय चिदम्बरपुर के कनकसभापति (शिव) की यात्रा के महोत्सव में इस रचना पर कवि को "चिदम्बर- कवि " की उपाधि प्राप्त हुई। अंकसंख्या पांच प्रधान नायक व्याघ्रपाद, उपनायक पतंजलि प्रधान रस- शृंगार | 1 - सभारंजनम् (खण्डकाव्य) ले नीलकण्ठ दीक्षित। ई. 17 वीं शती । समयकमलाकर ले. कमलाकर । समयकल्पतरु ले पत्तोजी भट्ट लक्ष्मणभट्ट के पुत्र । समयनय-ले. गागाभट्ट काशीकर। ई. 17 वीं शती । पितादिनकर भट्ट | यह ग्रंथ लेखक ने छत्रपति संभाजी राजा के लिये सन् 1681 में लिखा । समयनिर्णय ले. अनन्तभट्ट । सन् 680-81 में लिखित । (2) ले. रामकृष्ण । पिता- माधव। ई. 16 वीं शती । यह ग्रंथ प्रतापरुद्रदेव के आदेश से लिखित प्रतापमार्तण्ड का पांचवा भाग है। समयप्रकाश ले. विष्णुशर्मा इन्हें "स्वाग्नि For Private and Personal Use Only -
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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