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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शौनककोपनिषद् - प्रणव का माहात्म्य इसमें प्रतिपादित है। शौनक ऋषि ने "चत्वारि शृंगा' इस ऋग्वेद की ऋचा को लेकर इस माहात्य का प्रतिपादन किया है। ओंकार की उपासना ही इसका प्रमुख विषय है। भाषा ब्राह्मण ग्रंथों से मिलती जुलती है। श्मशानकालीमन्त्र - शलोक -119। विषय- श्मशान काली देवता के बीजमन्त्र, पूजादि की पद्धति तथा प्रसंगतः बगलामुखी देवी का ध्यान है। श्मशानार्चन-पद्धति - श्लोक- 60।। श्यामरहस्यम् - ले.-प्रियवंदा। ई. 17 वीं शती। कृष्णचरित्र परक काव्य। श्यामाकल्पकता - ले.-रामचंद्र कविचक्रवर्ती। पिता- माधव । श्लोक 3240। स्तबक- 11, विषय विद्यामाहात्म्य, दीक्षाप्रकरण का उपदेश, नित्यपूजा के प्रमाण, श्मामा की स्तुति, श्यामाकवच, पुरश्चरण विधि, विशेष प्रकार की साधना, रहस्यसाधन विधि, होमविधान आदि। श्यामाकल्पलतिका - ले.-मथुरानाथ। श्लोक 279। इसके संस्करण बंगाली लिपि में अनुवाद के साथ प्रकाशित हो चुके हैं। रचनाकार- 1592 ई.। विषय- श्यामास्तोत्र । श्यामापद्धति - ले.-स्वप्रकाश। श्लोक- 1000। श्यामापूजा-पद्धति- ले. चक्रवर्ती। विषय- उपासक के प्रातः । कृत्य आदि तथा कालीपूजा । श्यामामन्त्र - श्लोक- 432। विषय-दश महाविद्याओं के मंत्र और बीजमन्त्र संगृहीत हैं तथा देवी की पूजापद्धति भी सप्रमाण वर्णित है। जो मन्त्रवान् पुरुष काली का चिन्तन करता है, उसे सब ऋद्धिसिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। उसके मुंह से सभा में गद्यपद्यमयी वाणी अनायास अप्रतिहत रूप से प्रादुर्भूत होती है। उसके दर्शन मात्र से वादी हतप्रभ हो जाते हैं राजा दासवत् उसकी सेवा करते हैं। शयामा-मानसार्चन-विधि - ले.-शंकराचार्य । श्लोक- 1421 परिच्छेद- 22। विषय- न्यासविवरण, साधक का कुलवेष, रहस्यमाला, मंत्रसिद्धार्थ-विवरण, भिन्न भिन्न मंत्रों का विवरण कालीतत्त्व, पुरुषार्थ साधन, वीर्यमोचन, सामान्य साधन, पुरश्चरण के बिना मन्त्रसिद्धि के उपाय, पीठजाप, कुलाचार, महानीलक्रम वर्णन, पुरश्चरण आदि। श्यामार्चनचन्द्रिका - ले.- स्वर्णग्रामनिवासी गौडमहागमिक रत्नगर्भ सार्वभौम । श्लोक- 5250। पटल 6। विषय :- शक्तिमाहात्म्य, विद्यामाहात्म्य, सामान्य और विशेष पूजा , उनके अंगभूतन्यास, भूतशुद्धि, पुरश्चरण, शाक्तों के आचार, वीरसाधन साधनभेद इत्यादि। श्यामार्चनतरंगिणी - ले.-श्रीविश्वनाथ सोमयाजी। श्लोक लगभग 3500। वीचियाँ 11 | विषय- प्रातःकृत्य, स्थान-शुद्धि, द्वारपाल पूजन का क्रम, अवरोह, संहार और आरोह रूपिणी भूतशुद्धि तथा प्राणायाम, अन्तर्याग, मधुदान, निषेध, द्रव्यशुद्धि, उपचार पूजाक्रम कुण्ड के 18 संस्कारों का विचार, होमप्रकार तथा पशुप्रोक्षण विधि इ. श्यामार्चनमंजरी - ले.-लालभट्ट। गुरु- अनारगिरि । श्यामार्चनपद्धति - श्लोक- 1500। श्यामासंतोषण-स्तोत्रम् - ले. काशीनाथ तर्कपंचानन । रचनाकाल- 1756 शकाब्द। 4 उल्लासों में पूर्ण। प्रथम उल्लास में देवी की पूजा के नियम और अन्तिम 3 उल्लासों में देवीमाहात्म्य का वर्णन। श्यामासपर्यापद्धति - ले.-विमलानन्दनाथ। श्लोक- 700। श्यामासपर्याविधि - ले. काशीनाथ तर्कालंकार । श्लोक 5000। इस ग्रंथ की रचना शकाब्द 1691 रविवार मार्ग कृष्ण 4 को काशी में पूर्ण हुई। 7 विभागों में पूर्ण। विषय- प्रातःकृत्य, अन्तर्याग, बहिर्याग, महापीठपूजा, कुलाचारादि कथन, नैमित्तिक पूजन, काम्यसाधन, विद्यामाहात्म्य कथन इ.। श्यामास्तोत्रम् - रुद्रयामलान्तर्गत भैरवतन्त्र से गृहीत। यह स्तोत्र "महत्" विशेषण से विशिष्ट नामों का संग्रह है। यह अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र कहा गया है। श्येनवी-जातिनिर्णय - ले.-विश्वेश्वर शास्त्री (गागाभट्ट)। शिवाजी महाराज के आदेश से इसकी रचना हुई। श्येनवी जाति के धर्माधिकारों का अधिकृत निर्णय इसका विषय है। श्लेषचिन्तामणि (काव्य) - ले.-चिदम्बर।। श्लोकचतुर्दशी - ले.-कृष्णशेष। विषय- धर्मप्रतिपादन। टीकाकार- रामपंडित शेष। सरस्वतीभवन-माला द्वारा मुद्रित । श्लोकतर्पणम् - ले.-लौगाक्षि। श्लोकसंग्रह - विषय- श्राद्धों के 96 प्रकार। श्वश्रूस्नुषा-धनसंवाद - इसमें निर्णय किया है कि जब कोई व्यक्ति पुत्रहीन मर जाता है तो उसकी विधवा पत्नी एवं माता समप्रमाण पाती हैं। श्यामोदतरंगिणी - पार्वती-महाभूत संवादरूप। श्लोक- 275। पटल-12, विषय-ककार मंत्र, अकार मंत्र, लकार मन्त्र, ईकार मन्त्र इत्यादि रूप से काली के विभिन्न मंत्रों का प्रतिपादक ग्रंथ । अतिसूक्ष्म रूप से काली-पूजाविधि भी इसमें वर्णित है। श्यामायनशाखा - कृष्ण यजुर्वेद की एक लुप्त शाखा। पुराणों के अनुसार वैशम्पायन के प्रधान शिष्यों में से एक श्यामायन है परंतु चरणव्यूह में श्यामायनीय लोग मैत्रायणीयों का अवान्तर भेद कहे गए हैं। श्यामारत्नम्- ले.-यादवेन्द्र विद्यालंकार । श्लोक 1200 । विषयदशमहाविद्याओं के मंत्रोद्धार, पुरश्चरण, जप, होम दक्षिणा इ.। श्यामारहस्यम् - ले.- पूर्णानन्द परमहंस। श्लोक- 2500। 378 / संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड For Private and Personal Use Only
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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