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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra बलिदानम् - ले. वा. आ. लाटकर। कोल्हापुर निवासी। यह श्री. नरसिंह चिन्तामण केलंकर के मराठी उपन्यास का संस्कृत अनुवाद है। बलिदानमन्त्र बटुक, क्षेत्रपाल, योगिनी तथा गणपति के लिये बलिप्रदान के मन्त्र इस में वर्णित । विषय देवी चण्डिका के 425 | बलिकल्प श्लोक लिए बलिदान - विधि | बलिविधानम् ले राघवभट्ट (कालीतत्त्वान्तर्गत) श्लोक 328 1 - बल्लवदूतम् - ले. बटुकनाथ शर्मा। हास्यरसात्मक दूतकाव्य । बालरामभरतम् ले. बालराम वर्मा । संगीतशास्त्र विषयक प्रबन्ध। 18 अध्याय । भाव, राग और ताल का परस्पर संबंध, मौखिक तथा वाद्य संगीत और आंगिक अभिनय से रसप्रादुर्भाव का प्रतिपादन किया है। बलिविजयम् ले. जग्गू श्रीबकुलभूषण बंगलोरनिवासी । छायातत्त्व की प्रचुरता और सौष्ठवपूर्ण हास्य इस की विशेषता / / है। विषय वामनावतार की कथा। - - - www.kobatirth.org - - बसवराजीयम् - ले. बसवराज। इस आयुर्वेदिक ग्रंथ का प्रचार दक्षिण भारत में अधिक है। इस में 25 प्रकरण है तथा ज्वरादि रोगों के निदान एवं चिकित्सा का विवेचन है। ग्रंथ का निर्माण अनेक प्राचीन ग्रंथों के आधार पर किया गया है। इसका प्रकाशन नागपुर (महाराष्ट्र) में पं. गोवर्धन शर्मा छांगाणी ने किया है। बहुश्रुत ले. सन् 1914 में वर्धा (महाराष्ट्र) से पं. बालचन्द्रशास्त्री विद्यावाचस्पति के सम्पादकत्व में इस द्वैमासिक पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ हुआ। दूसरे वर्ष से यह प्रति मास छपने लगी। इसमें वेद, धर्म, संस्कृति आदि विषयों के निबन्ध, कवियों की जीवनी और अन्तिम पृष्ठ पर समाचार होते थे । बहुवृच अवेद में बहु (अर्थात् सर्वाधिक ) ऋचायें होने से पतंजलि ने उसे बहवच संज्ञा दी है। ऋग्वेद की जो शाखाये पतंजलि के भाष्य में पायी जाती हैं, उनमें बहुवच भी एक शाखा है। उसे बहवृचचरण भी संज्ञा है । ऋग्वेद का यह एक प्रसिद्ध चरण है। इस चरण के 21 भेद हैं : 214 / संस्कृत वाङ्मय कोश ग्रंथ खण्ड - "एकविंशतिधा बाह्वचम्" ऐसा पतंजलि कहते हैं। शतपथ ब्रह्मण में (10-51-10) तथा आपस्तंब श्रीतसूत्र में बहवृचाओं का उल्लेख है । ऐतरेय तथा कौषीतकी ब्राह्मणों में बच शाखा का एक भी अवतरण नहीं पाया जाता । बह्वृच शाखा की संहिता तथा ब्राह्मण संप्रति उपलब्ध नहीं हैं। कुमारिलभट्ट के अनुसार वसिष्ठ गृह्यसूत्र बवृच का है। (तंत्रवार्तिक 1-3-11) बहवृचोपनिषद् - एक नव्य उपनिषद् । इसमें महात्रिपुरसुंदरी की महिमा का गद्य में वर्णन है। बहवचगृह्यकारिका ले शाकलाचार्य विषय धर्मशास्त्र । - बहवृचाह्निकम् - ले. कमलाकर रामचंद्र के पुत्र । लेखक के प्रायश्चित्तरत्न का उल्लेख इसमें है। विषय- धर्म शास्त्र । बाइबल ईसाई धर्म का यह पवित्रतम ग्रंथ माना गया है। संसार की करीब बारह सौ से अधिक प्रमुख तथा गौण भाषाओं में इस ग्रंथ के अनुवाद हो चुके हैं। अंग्रेज आक्रमक की भारत में विजय होने पर ईसाई धर्मप्रचार के हेतु संस्कृत भाषा में बाइबल के अनेक अनुवाद हुए 1) सन् 1808-11 में सेरामपुर (बंगाल) के मिशनरियों द्वारा विलियम केरी के मार्गदर्शन में मूल ग्रीक बाइबल से 3 खंडों में प्रथम अनुवाद हुआ। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir · 2) सन् 1821 में उसी मिशन द्वारा ओल्ड अँड न्यू टेस्टामेंट्स का अनुवाद प्रकाशित हुआ । 3) सन् 1841 में कलकत्ता की बैप्टिस्ट मिशनरी सोसाइटी द्वारा स्थानिक पंडितों की सहायता से ग्रीक भाषीय न्यू टेस्टामेंट का अनुवाद प्रकाशित हुआ । 4) सन् 1842 में स्कूल बुक सोसाइटी प्रेस, कलकत्ता, द्वारा "प्राव्हर्बज् ऑफ सॉलोमन" का अनुवाद प्रकाशित हुआ। 5) सन् 1843 में कलकत्ता के बैप्टिस्ट मिशन द्वारा मूल हिब्रू बाइबल का अनुवाद प्रकाशित । 6) सन् 1844 में उसी मिशन द्वारा दि फोर गॉसपेल्स विथ दि अॅक्ट्स ऑफ दि अपोस्टल्स का अनुवाद प्रकाशित। 7) सन् 1845 में "दि बुक ऑफ दि प्रोफेट ईसा इन् संस्कृत" का प्रकाशन । 8) सन् 1846 में प्रॉव्हज ऑफ सॉलोमन का मूल हिब्रू ग्रंथ से अनुवाद प्रकाशित। सन 1860 में "बाइबल फॉर दि पंडित्स" नामक जेनेसिस के प्रथम तीन अध्याय टीकासहित प्रकाशित हुए। यह सविस्तर टीका संस्कृत और साथ ही अंग्रेजी में जे. आर. बॅलन्टाईन द्वारा लिखी गई। इस ग्रंथ का प्रकाशन लंदन में हुआ । 9) सन 1877 में "ईश्वरीय स्तवार्थक गीतसंहिता', कलकत्ता के बैपटिस्ट मिशन द्वारा प्रकाशित हुई। 10) सन 1877 में बैप्टिस्ट मिशन प्रेस, कलकत्ता द्वारा "ख्रिस्तीय धर्मपुस्तकान्तर्गतो हितोपदेशः " नामक ग्रंथ प्रकाशित हुआ । 11) सन 1877 में उसी मिशन द्वारा “मिथिलिखितः सुसंवादः ". प्रकाशित हुआ । 12) सन 1878 में इसी मिशन द्वारा "मार्क लिखितः सुसंवादः प्रकाशित । For Private and Personal Use Only 13) सन 1878 में सत्यधर्मशास्त्रम् मार्कलिखितः सुसंवादः अर्थतः येशु ख्रिस्तीय चरितदर्पणम्" का उसी मिशनद्वारा प्रकाशन । 14) सन 1878 में "लूक लिखितः सुसंवादः " प्रकाशित ।
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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