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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ले- रत्नपाणि। प्रायश्चित्तप्रकरणम् - ले-भट्टोजि। (2) ले- भवदेव। (बाल-वलभीभुजंग- उपाधि) (3) ले- रामकृष्ण। प्रायश्चित्तप्रकाश - ले- प्रद्योतनभट्टाचार्य। बलभद्र के पुत्र । प्रायश्चित्तप्रदीप - ले- राजचूडामणि। रत्नखेट श्रीनिवास दीक्षित के पुत्र। (2) ले- रामशर्मा । (3) ले- वाहिनीपति। (4) ले- शंकरमिश्र। भवनाथ के पुत्र । ई. 15 वीं शती। (5) ले- केशवभट्ट। (6) ले- गोपालसूरि। (बोधायन श्रौतसूत्र के एक भाष्यकार) (7) ले- प्रेमनिधि पन्त। ई. 17-18 वीं शती। (8) ले- वरदाधीश यज्वा । वेंकटाधीश के शिष्य द्वारा । प्रायश्चित्तप्रयोग - ले-बालशास्त्री कागलकर। (2) ले- अनन्त दीक्षित। (3) ले- त्र्यंबक। (आश्वलायन पर आधारित)। (4) ले- दिवाकर। प्रायश्चित्तमंजरी - ले- बापूभट्ट केलकर। पिता- महादेव । रचना- सन् 1814 में। प्रायश्चित्तमनोहर - ले- मुरारि मिश्र। पिता- कृष्णमिश्र। गुरुकेशवमिश्र तथा रामभद्र। प्रायश्चित्तमयूख - ले- नीलकण्ठ। घारपुरे द्वारा प्रकाशित । प्रायश्चित्तमार्तण्ड - ले-मार्तण्ड मिश्र। लेखन समय- 1622-23 उस किसान को पीडा देता है। राजपुत्र उस किसान-कन्या पर लुब्ध है परन्तु राजा क्रुद्ध हो अपने पुत्र को निष्कासित करता है। युग के प्रभाव से अन्त में राजा पछताता है और राजपुत्र का विवाह उसी कन्या के साथ तथा राजकन्या का विवाह पीडित किसान युवक के साथ कराता है। प्रायश्चित्तकदम्ब - (अपरनाम- निर्णय) ले- गोपाल न्यायपंचानन । विषय- धर्मशास्त्र। प्रायश्चित्तकदम्बसारसंग्रह - ले-काशीनाथ तर्कालंकार । शूलपाणि, मदनपारिजात, नव्यद्वैतनिर्णयकार चन्द्रशेखर के मत इसमें वर्णित हैं। प्रायश्चित्तकमलाकर - ले- कमलाकरभट्ट । विषय- धर्मशास्त्र । प्रायश्चित्तकारिका - ले- गोपाल । बौधायनसूत्र पर आधारित । प्रायश्चित्तकुतूहलम् - ले- कृष्णराम। (2) ले- मुकुन्दलाल । (3) ले- रघुनाथ। गणेश के पुत्र एवं अनन्तदेव के शिष्य । विषय- श्रौत एवं स्मार्त प्रायश्चित्त । समय- लगभग 1660-1700 ई.। (4) ले- रामचंद्र। शूलपाणि के प्रायश्चित्तविवेक पर आधारित। प्रायश्चित्तकौमुदी (प्रायश्चित्तविवेक) . ले- कृष्णदेव स्मार्तवागीश। (2) (प्रायश्चित्तटिप्पणी) ले- रामकृष्ण। प्रायश्चित्तचन्द्रिका - ले- दिवाकर। पिता-महादेव। (2) लेमुकुंदलाल। (3) ले- भैयालवंशज रमापति। (4) लेराधाकान्त देव। (5) ले- विश्वनाथभट्ट। प्रायश्चित्तचिन्तामणि - ले- वाचस्पति मिश्र। प्रायश्चित्ततत्त्व - ले- रघुनन्दन। जीवानन्द द्वारा प्रकाशित । टीकाग्रंथ (1) काशीनाथ तर्कालंकार द्वारा। कलकत्ता में 1900 में प्रकाशित। (2) राधा-मोहन गोस्वामी द्वारा (बंगलालिपि में कलकत्ता में मुद्रित, (1885)। प्रस्तुत लेखक कोलबुक का मित्र, चैतन्य का अनुयायी एवं अद्वैतवंशज था। (3) आदर्शविष्णुराम सिद्धान्तवागीश द्वारा लिखित । प्रायश्चित्तदीपिका - ले- अनन्तदेव। आपदेव के पुत्र। (यह प्रायश्चित्तशतद्वयी ही है)। विषय- श्रौतकृत्यों में प्रायश्चित्त। (2) ले- भास्कर। (3) ले- राम। (4) ले-लोकनाथ। वैद्यनाथ के पुत्र। (लेखक के सकलागमसंग्रह से संगृहीत)। (5) ले- वाहिनीपति। प्रायश्चित्तनिरूपणम् - ले-रिपुंजय। कलकत्ता में बंगला लिपि में मुद्रित (ई. 1883 में) (2) ले- भवदेवभट्ट । प्रायश्चित्तनिर्णय - ले- गोपाल न्यायपंचानन। (2) लेअनन्तदेव। प्रायश्चित्तपद्धति - ले- कामदेव। सन 16691 (2) लेजम्बनाथ सभाधीश। पिता- हेमाद्रि। पटलसंख्या 4। (3) लेरामचंद्र। पिता- सूर्यदास । प्रायश्चित्तपारिजात - ले- गणेशमिश्र महामहोपाध्याय। (2) प्रायश्चित्तमुक्तावली - ले-दिवाकर। महादेव के पुत्र। लेखक के धर्मशास्त्रसुधानिधि का अंश)। लेखक के पुत्र वैद्यनाथ द्वारा अनुक्रमणी की गई है। (2) ले- रामचंद्रभट्ट । प्रायश्चित्तसंक्षेप - ले- चिन्तामणि न्यायालंकार। प्रायश्चित्तसंग्रह . ले- नारायणभट्ट । रचना 1600 ई. के उपरान्त। प्रायश्चित्त की परिभाषा यों दी हुई है"पापक्षयमात्रकामनाजन्यकृतिविषयं पापक्षयसाधनं कर्म प्रायश्चित्तम्।” (2) ले- कृष्णदेव स्मार्तवागीश। प्रायश्चित्तसदोदय - ले- सदाराम। देवेश्वर के पुत्र । प्रायश्चित्तसमुच्चय - ले- श्रीहृदयशिव। गुरु-ईश्वरशिव । विषयसाधकों की पापविशुद्धि के लिए आगम में उपदिष्ट प्रायश्चित्त । (2) ले- त्रिलोचनशिव। (3) ले- भास्कर । प्रायश्चित्तसार - ले- त्र्यंबक भट्ट मोल्ह। (2) ले- दलपति । (नृसिंहप्रसाद का अंश)। (3) ले- हरिराम। (4) लेभट्टोजि दीक्षित। जयसिंहकल्पद्रुम द्वारा वर्णित। (5) लेश्रीमदाउचा शुक्ल दीक्षित। प्रतापनारसिंह में वर्णित। (6) यादवेन्द्र विद्याभूषण के स्मृतिसार से संगृहीत । सन 1691 ई.।। प्रायश्चित्तसारकौमुदी - ले- वनमाली। प्रायश्चित्तसारसंग्रह - (1) ले- आनन्दचन्द्र। (2) लेनागोजी भट्ट। (3) ले- रत्नाकर मिश्र। प्रायश्चित्तसारावली - ले- बृहन्नारदीयपुराण का एक अंश । 210 / संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड For Private and Personal Use Only
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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