SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 17
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (10) काव्य शास्त्र के अन्तर्गत साहित्याचार्यों द्वारा प्रतिपादित वक्रोक्ति, रीति तथा रस विषयक संप्रदायों एवं काव्यदोषों का परामर्श किया है। (11) नाट्य-शास्त्र एवं नाट्य-साहित्य विषयक प्रकरणों में दशरूपक इत्यादि शास्त्रीय ग्रंथों में प्रतिपादित विविध नाटकीय विषयों के साथ सम्पूर्ण संस्कृत नाट्य वाङ्मय का विषयानुसार तथा रूपक प्रकारानुसार वर्गीकरण दिया है। इसमें अर्वाचीन संस्कृत नाटकों का भी परामर्श किया गया है।। (12) अंत में ललित साहित्य के अन्तर्गत महाकाव्यादि सारे काव्य प्रकारों का परामर्श करते हुए संस्कृत सुभाषित संग्रहों और विविध प्रकार के कोशग्रथों का परिचय दिया है। 17 वीं शती के पश्चात् निर्मित संस्कृत साहित्य, पुराने पर्यालोचनात्मक वाङ्मयेतिहास के ग्रंथों में उपेक्षित रहा। स्वराज्यप्राप्ति के बाद इस कालखंड में लिखित संस्कृत साहित्य का समालोचन "अर्वाचीन संस्कृत साहित्य" "आधुनिक नाट्यवाङ्मय" इत्यादि विविध प्रबन्धों द्वारा हुआ। अर्वाचीन संस्कृत साहित्य को अब विद्वत्समाज में मान्यता प्राप्त हुई है। प्रस्तुत प्रकरण में सभी प्रकार के अर्वाचीन ग्रंथों का तथा पत्र-पत्रिकाओं एवं उपन्यासों का परामर्श किया है। ___ "संस्कृत वाङ्मय दर्शन" के विभाग में इस पद्धति के अनुसार समग्र संस्कृत वाङमय के अतरंग का दर्शन कराते हुए विविध सिद्धान्तों, विचार प्रवाहों एवं उललेखनीय श्रेष्ठ ग्रंथों का संक्षेपतः परिचय देना आवश्यक था। कोश के ग्रंथकार खंड और ग्रंथ खंड में संस्कृत वाङ्मय का जो भी परिचय होगा वह विशकलित रहेगा। एक व्यक्ति के प्रत्येक अवयव के पृथक्-पृथक् चित्र देखने पर उस व्यक्ति के समग्र व्यक्तित्व का आकलन नहीं होता, एक सहस्रदल कमल की बिखरी हुई पंखुड़ियों को देखने से समग्र कमल पुष्प का स्वरूप सौंदर्य समझ में नहीं आता। उसी प्रकार वर्णानुक्रम के अनुसार ग्रंथों एवं ग्रंथकारों का संक्षिप्त परिचय जानने पर समग्र वाङ्मय तथा उसके विविध प्रकारों का आकलन होना असंभव मान कर हमने यह "संस्कृत वाङ्मय दर्शन" का विभाग कोश के प्रारंभ में संयोजित किया है। द्वितीय खंड के अन्तर्गत 9000 से अधिक ग्रंथविषयक प्रविष्टियां । तदनन्तर विविध परिशिष्ट । परिशिष्टों के विषय : अज्ञातकर्तृक ग्रंथ - (तंत्रशास्त्र और धर्मशास्त्र के अतिरिक्त अन्य विषयों के ग्रंथों की सूची)। 270 से अधिक प्रविष्टियां । स्वातंत्र्योत्तर संस्कृत साहित्य - (प्रदेशानुसार चयन) असम, आन्ध्र, उडीसा, उत्तरप्रदेश-दिल्ली, कर्नाटक, केरल, पंजाब, पश्चिमबंगाल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान। (कुल ग्रंथ-700 से अधिक)। प्रदेशानुसार ग्रंथकार-ग्रंथनाम-सूची - (1) असम (2) आन्ध्र (3) उडीसा (4) उत्तरप्रदेश (5) कर्नाटक (6) काश्मीर (7) केरल (8) गुजरात (9) तमिलनाडु (तमिलनाडु का शैव वाङ्मय। तमिलनाडु का श्रीवैष्णव वाङ्मय।) तंजौर राज्य में निर्मित ग्रंथ संपदा। तंजौर राज्य के ग्रंथकार। (10) नेपाल (11) पंजाब-दिल्ली (12) बंगाल (वंगीय टीकात्मक वाङ्मय) (13) बिहार (14) मध्यप्रदेश (15) महाराष्ट्र (16) राजस्थान (जयपुर के ग्रंथकार)। परिशिष्ट 17 - देशभक्तिनिष्ठ साहित्य । परिशिष्ट 18 - संस्कृत विद्या के आश्रयदाता और उनके आश्रित ग्रंथकार । परिशिष्ट 19 - आत्माराम विरचित वाङ्मय कोश, (पद्यात्मक श्लोकसंख्या- 215)। परिशिष्ट (ढ) - साहित्यशास्त्र । (ण)- ललित वाङ्य (काव्य, स्तोत्र) (त)- नाट्य वाङ्मय। (थ)- सुभाषितग्रंथ । (द)- कोश ग्रंथ। परिशिष्ट (ध) - संस्कृत वाङ्मय प्रश्नोत्तरी 1200 से अधिक संस्कृत वाङ्मय विषयक प्रश्न-उत्तरों का संग्रह। 81, अभ्यंकर नगर श्रीधर भास्कर वर्णेकर नागपुर- 440010 संपादक श्रीरामनवमी संस्कृत वाङ्मय कोश 7 अप्रैल 1988 For Private and Personal Use Only
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy