SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 143
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वीरतंत्र, मत्स्यसूक्त, भैरवीतंत्र, महाभैरवीतंत्र, विज्ञानेश्वरसंहिता, विशुद्धेश्वरतंत्र इ. के वचन प्रमाणरूप से उद्धृत। तारार्चनचन्द्रिका - ले- जगन्नाथ भट्टाचार्य। श्लोक- 450। विषय- तारादेवी की पूजापद्धति के साथ-साथ उपासक (साधक) के प्रातःकालीन देवी-ध्यान आदि कर्म। तारार्चनतरंगिणी - ले- रामकृती। श्लोक- 11001 तरंग-4। विषय- तारादेवी की पूजा का सविस्तर वर्णन। तारासहस्रनामव्याख्या (अभिधार्थ-चिन्तामणि) लेविश्वेश्वर। पिता- लक्ष्मीधर । तारासहस्त्रनामस्तोत्र - बालाविलास- तन्त्रान्तर्गत। इसमें तारा के तकारादि सहस्र नाम हैं। तारासाधकशतकम् - ले-ताराभक्त चन्द्रगोमिन्। इस रचना का जे.डी. ब्लोने द्वारा उल्लेख हुआ है। तारसारोपनिषद् - शुक्ल यजुर्वेद का एक नव्य उपनिषद् । तीन पाद वाले इस उपनिषद में भगवान् विष्णु के रामावतार से संबंधित कुछ मंत्र हैं। राजा जनक के सभापंडितों को शास्त्रार्थ में पराजिन्न करने के पश्चात् याज्ञवल्क्य ऋषि ने राजा जनक को परब्रह्मविद्या का ज्ञान कराया। इस ग्रंथ में उस विषय का समावेश है। तारावलीशतकम् - ले- श्रीधर वेंकटेश 1 गेय काव्य । तारास्तोत्रम् - ले- बाणेश्वर विद्यालंकार। ई. 18 वीं शती। ताराविलासोदय - ले- वासुदेव कविकंकण चक्रवर्ती। श्लोक900। उल्लास- 101 षिय- तारादेवी की पूजा का विस्तार से प्रतिपादन। तालदशाप्राणदीपिका - ले- गोविन्द । रामभक्तिपरक गीतों का संग्रह । गीतों द्वारा विविध तालों के उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। तालदीपिका - ले- गोपेन्द्र तिप्प भूपाल। ई. 15 वीं शती। 3 अध्याय। मार्गी तथा देशी तालों का विवेचन । तालप्रबंध - ले- गोपेन्द्र। शिवभक्तिपरक गीतों का संग्रह। प्रत्येक गीत एक एक ताल का उदाहरण है। . ताललक्षणम् - ले- कोहल।। तिलकायनम् (नाटक) - ले- श्रीराम वेलणकर। अंकसंख्यातीन। स्त्रीपात्रविरहित। गीतों और प्राकृत का अभाव। सन 1897 से 1908 तक लोकमान्य तिलक पर लगाये अभियोगों के परीक्षण पर आधारित। न्यायालय की न्यायप्रक्रिया का सरस प्रस्तुतीकरण। तिथिचिंतामणि (बृहत्) - तिथिचिंतामणि (लघु) लेगणेश दैवज्ञ । ई. 15 वीं शती। विषय- ज्योतिषशास्त्र। इन ग्रंथों की सारिणियों से सुलभता से पंचांग बनाया जा सकता है। तिथिनिर्णय - 1. नारायणभट्ट। ई. 16 वीं शती। पितारामेश्वरभट्ट । 2. ले. हेमाद्रि । ई. 13 वीं शती। पिता- कामदेव। तिथिपारिजातम् - ले- शिव। तिथिरत्नमाला - ले- नीलकंठ। ई. 16 वीं शती। । तिथीन्दुसार - ले- नागोजी भट्ट। ई. 18 वीं शती। पिताशिवभट्ट। माता- सती। तिमिरचन्द्रिका - (1) ले- रामरत्न । श्लोक- 6501 विषयतांत्रिक पूजा का विवरण तथा तांत्रिक साधक के दीक्षादिनिर्णय, प्रातःकृत्य अन्तर्यागादिविधि- स्थानशोधनपूर्वक पूजा, निशापूजन, शिवलिंगार्चन आदि दैनिक कृत्य। (2) उल्लास- 171 श्लोकलगभग 15001 ऊपर कहे गये विषयों के अतिरिक्त यंत्रमाला, नित्यजप, कुण्डादिसाधन इत्यादि विषय अधिक वर्णित हैं। तिलकमंजरी - ले- धनपाल। ई. 10-11 वीं शती। पितासर्वदेव। विषय- एक शृंगारिक कथा। तिलकयशोर्णव - ले- नागपुर निवासी माधव श्रीहरि उपाख्य लोकनायक बापूजी अणे। ई. 20 वीं शती। जीवन के प्रारंभ से आप लोकमान्य तिलक के प्रमुख अनुयायी तथा महाराष्ट्र के विदर्भ विभाग के प्रमुख राजकीय नेता रहे। जनता में रुग्णशय्यापर ही आपने पूज्य गुरु लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का श्लोकबद्ध समग्र चरित्र लिखा। प्रस्तुत पद्यरूप चरित्र ग्रंथ तीन खण्डों में 'तिलकयशोर्णवः' नाम से प्रकाशित हुआ। इस ग्रंथ को 1973 में लेखक के देहान्त के बाद साहित्य अकादमी का पुरस्कार प्राप्त हुआ। तीक्ष्णकल्प - ले-राजा श्रीराधामोहन द्वारा स्वयं रचित या उनकी प्रेरणा से किसी अन्य विद्वान् के द्वारा रचित ग्रंथ । शकाब्द 1732 में लेखन पूर्ण हुआ। पटल- 51 श्लोक लगभग 3000। विषय- प्रातःकाल के जप, पूजा इ. के विधि, मंत्र आदि का विवरण, आसन- शुद्धि, मातृकाध्यान, ध्यानविधि, न्यास आदि का विवरण, एकजटा देवी की पूजा इ.। तीर्थकल्पलता - ले- नंदपंडित। ई. 16-17 वीं शती। विषयतीर्थयात्रा। तीर्थभारतम् - गीतिमहाकाव्य । ले.-डा. श्रीधर भास्कर वर्णेकर । नागपुर-निवासी। इस काव्य में संपूर्ण भारत के विख्यात तीर्थक्षेत्रों एवं तत्रस्थ देवताओं के तथा भारत के प्राचीन और अर्वाचीन तीर्थरूप विभूतियों के स्तुतिरूप पद्यों का संकलन किया है। साथ ही राष्ट्रीय गीत और भक्तिपरक तथा प्रकीर्ण गीतों का भी संग्रह किया है। कुल गीतसंख्या- 164। इन सभी गीतों के रागों का निर्देश कवि ने आरोह-अवरोह स्वरों तथा मुख्यांग स्वरों के साथ किया है। अप्रैल 1983 में न्यूयार्क में सम्पन्न संस्कृत सम्मेलन में इस महाकाव्य का विमोचन हुआ। प्रकाशकललिताप्रसाद शास्त्री, पीतांबरापीठ संस्कृत परिषद, दतिया, म.प्र.। तीर्थ-यात्रा-प्रबंध (चंपू) - रचयिता- समरपुंगव दीक्षित । वाधुलगोत्रीय ब्राह्मण। ई. 17 वीं शती। इस चंपूकाव्य में १ उच्छ्वास हैं और उत्तर व दक्षिण भारत के अनेक तीर्थों का वर्णन किया गया है। इसमें नायक द्वारा तीर्थाटन का वर्णन 126 / संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड For Private and Personal Use Only
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy