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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संस्कृत-प्राकृत-हिन्दी एवं अंग्रेजी शब्द कोश 1713 O nadhi. god. अमत्रांग, अमण्णाग, सब प्रकार के बरतन देने वाला धर्म, अधर्म और आकाश ये पांच अस्तिकाय एक कल्पवृक्ष, a tree who things of हैं, astikaya. many given up. अहमिन्द्र, अहमिद, सोलह स्वर्ग के आगे के देव अमम, अमम, संख्या का एक प्रमाण, a number. अहमिन्द्र कहलाते हैं,akind of deva. अमृतश्राविन, अमियस्सावि, अमृतश्राविणी ऋद्धि के अहःस्त्रीसंगवर्जन, अत्थी-सवा-वज्जण, धारक मुनि, a kind of sage, who gone दिवामैथुनत्याग नामक छठी प्रतिमा। संग रहित, of riddhi. attachment less of day sex. अम्बरचारण, अबारचरण, चारण से ऋद्धि का एक आ भेद,a kind of Ridhi. अर्हत, अरिह/अरह, अरहन्त चार घातियां कर्मों को आकर, आयर, जहाँ सोने-चांदी की खानें होती हैं, नष्ट करने वाले जिनेन्द्र अर्हत्। अरहन्त कहलाते mines rich source of gold and etc. हैं, four karma's less full knownness आकार, आयार, तद्-तद् पदार्थ के भेद से पदार्थ को ग्रहण करना, • रूप प्राप्त करना, from, अलोक, अलोग, लोक के बाहर का अनन्त आकाश space of the face. जिसमें सिर्फ आकाश ही आकाश रहता है, आकाश, आगास, जो स्वमत का निरूपण करने वाली upper world only one sky and sky. कथा, स्वपक्ष की कथा, self story. अवधि, ओहि, अवधिज्ञानावरण के क्षयोपशम से प्रकट आगम, आगम, वीतराग सर्वज्ञदेव की वाणी, सच्चा होने वाला देश प्रत्यक्ष ज्ञान, मर्यादित/सीमित शास्त्र, the thought of god. . ज्ञान, limited knowledge. आचाम्लवर्धन, आचम्मवडण, इन्द्र के अंगरक्षक के अवसर्पिणी, अवसप्पिणी, जिसमें लोगों के बल, विद्या, समान देव, a kind of deity. बुद्धि आदि का ह्रास होता है। इसमें देश कोड़ा __ आत्मवाद, अप्पवादो, आत्मचिन्तन का कथन, one कोड़ी सागर के सुषमा आदि छह काल हैं।a who knows himself. kind of time who loss ful time of आध्यात्मिक चेतना, अज्झप्पिगचेदणा, आत्मा और power, knowledge etc.. ज्ञान का तादात्म्भाव, soul and knowlअष्टण, अट्ठण, अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, edge nature. प्राकाम्य. ईशित्व और वशित्व ये आठ गण हैं. आभिनिवोधिक, आहिणिवोहिग, अभिमुख और नियत eight curseful. पदार्थ को इन्द्रिया और मन से जानना, knowअष्टप्रातिहार्य, अट्ठ-पाडिहारिय, समसरण में तीर्थ कर ing of organ and self any things. केवली के प्रकट होने वाले आठ प्रातिहार्य, 1. आद्यशुक्लध्यान, अज्सक्कज्झाणं, पृथक्त्ववितर्क अशोक वृक्ष, 2. सिंहासन, 3. छत्रत्रय, 4. विचार शुक्ल ध्यान, a kind of dhyana. भामण्डल, 5. दिव्य ध्वनि, 6. पुष्पवृष्टि, 7. आनुपूर्वो, आणुपूव्वो, वर्णनाय विषय का क्रम, इसके चौसठ चमर, 8.दुन्दुभिबाजों का बजना, gone 3 भेद हैं- पूर्वानुपूर्वी, अन्तानुपूर्वी, यत्रतत्रानुपूर्वी, one after another. of good all round. आभियोग्य, आहिजोग्ग, देवों का एक भेद, a kind अष्टांग, अटुंग, सम्यग्दर्शन के निम्नलिखित आठ अंग of deity. हैं, 1. निःशंकित, 2. नि:कांक्षित, 3. आमर्ष, आमरिस, एक ऋद्धि, a kind of impaनिर्विचिकित्सित, 4. अमूढ़ दृष्टि, 5. उपगूहन - tience. अथवा उपबृंहण,6.स्थितिकरण,7. वात्सल्य, आरम्भ परिच्युति, आरंभ-परिचुइ, आरम्भ त्याग 8.प्रभावना, kind of samyagdarsam. नामक आठवीं प्रतिमा, इसमें व्यापार मात्र का अस्तिकाय, अत्थिकाय, बहुप्रदशी द्रव्य जीव, पुद्गल, त्याग हो जाता है। a kind of given up. . For Private and Personal Use Only
SR No.020646
Book TitleSanskrit Prakrit Hindi Evam English Shabdakosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2011
Total Pages622
LanguageSanskrit, Hindi, Prakrit, English
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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