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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (vii) साधुसुन्दर मणि : शब्द रत्नाकर - यह पद्यात्मक कृति है। इसमें छ: काण्ड हैं - 1. अहँत्, 2. देव, 3. मानव, 4. तिर्यक्, 5. नारक, 6. सामान्य काण्ड। मुनिधरसेन : विश्वलोचन कोश - इस अनेकार्थ कोश में 2453 श्लोक हैं। इनमें 33 वर्ग, क्षान्त वर्ग और अव्यय वर्ग भी है। जिनभद्रसूरि : अपवर्ग नाममाला - इनका रचनाकाल 12वीं शती है। अमरचन्द्रसूरि : एकाक्षर नाममालिका - इस कोश का प्रणयन 12वीं शती में अमरचन्द्रसूरि द्वारा किया गया। महाक्षपणक : एकाक्षर कोश - इसमें आगमों, अभिधानों, धातुओं और शब्द शासन से यह एकाक्षर शब्द कोश है। सुधाकलशमुनि : एकाक्षर नाममाला - इसमें 50 पद्य हैं। कतिपय अन्य शब्दकोश 1. निघण्टु समय : धनंजय 2. अनेकार्थनामाला : धनंजय 3. अवधान चिन्तामणि अवचूरि : अज्ञात 4. अनेकार्थ संग्रह : हेमचन्द्रसूरि शब्दचन्द्रिका शब्दभेद नाममाला : महेश्वर ___ अव्ययैकाक्षर नाममाला : सुधाकलशगणि शब्द-संदोह संग्रह : ताडपत्रीय (अज्ञात) शब्दरत्नप्रदीप : कल्याणमल्ल गतार्थकोश : असंग 11. पंचकी संग्रह नाममाला : मुनि सुन्दरसूरि 12. एकाक्षरी नानार्थकाण्ड : धरसेनाचार्य 13. एकाक्षर कोश : महाक्षपणक इत्यादि। धनंजय नाममाला भाष्य : अमरकीर्ति, अनेकार्थ नाममाला टीका : अज्ञात, अभिधान चिन्तामणि वृत्ति, अभिधान चिन्तामणि टीका, व्युत्पत्ति-रत्नाकर अवचूरि, अभिधान चिन्तामणि बीजक, अभिधान चिन्तामणि नाममाला प्रतीकावली, अनेकार्थ संग्रह टीका, निघण्टु शेष टीका इत्यादि। इस प्रकार ये सब कोश अठारहवीं शती रचे गये। विजयराजेन्द्र सूरि : अभिधानराजेन्द्र कोश - इस कोश में अकारादि क्रम से प्राकृत शब्द, तत्पश्चात् उनका संस्कृत में अनुवाद फिर व्युत्पत्ति, लिंग निर्देश तथा जैन आगमों के अनुसार उनका अर्थ प्रस्तुत किया गया है। अभिधानराजेन्द्रकोश को श्लोक संख्या साढ़े चार लाख है। अकारादि वर्णानुक्रम से साठ हजार प्राकृत का संकलन है। इसके कोश निम्न प्रकार हैं - For Private and Personal Use Only
SR No.020644
Book TitleSanskrit Prakrit Hindi Evam English Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2011
Total Pages611
LanguageSanskrit, Hindi, Prakrit, English
ClassificationDictionary
File Size17 MB
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