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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 188 www.kobatirth.org bright, एक वृक्ष विशेष । प्रभा, कान्ति, चमक, a kind of tree. अर्जुनतरु, अज्जुणतरु, पुं० कीहावृक्ष, धन्वितरु, kind of tree. • अर्जुनी, अज्जुणी, स्त्री० तिनका, तृण, small grass, नेत्र रोग, eye disease, morning time, a river, kutni cow, • ऊषा, एक नदी । कुटनी गाय । अर्णम्, अण्णं, नपुं० नीर, जल, एकछन्द का नाम, water, a meter. अर्णः, अण्णो, पुं० अर्णवृक्ष, सागौनतरु, a kind of tree, • वर्णमाला का एक अक्षर । ऋ वर्ण, Sal tree, a kind of word. अर्णवः, अण्णवो, पुं० सागर, समुद्र, ocean sea, • एक छंद विशेष, a meter अर्णवतरि, अण्णवयरि, पुं० पोत, जहाज, ship. अर्णवपोतः, अण्णवपोओ, पुं० पीत, जहाज, ship. अर्णस्, अण्णं, नपुं० नीर, उदक, water. अर्णसांश, अण्णसंस, वि० जलांश, नीर भाग, water part. a अर्णस्वत्, अणस्स, वि० गहरा जल, treasure of water deep water, पानी की पूर्णता युक्त स्थान । deep waterful place. अर्णोदः, अण्णोदो, पुं० मेघ, बादल, cloud. अर्तनम्, अत्तणं, नपुं० आर्त्त, पीड़ा, खेद, pain, जुगुप्सा, , निन्दा, तिरस्कार, • अपमान, शोक, • censure. अर्ति, अत्ति, स्त्री० कष्ट, दुःख, पीड़ा, खेद, निंदा, तिरस्कार, pain, blane, • अशान्ति, unpeace. अर्तिकः, अत्तिगो, पुं० पीठी, एक विशेष भोज, a sweet eat. अर्तिकथा, अत्तिकहा, स्त्री० निंदककथा, दुःखान्त सूचक कथन, blameful story, painful thought. अर्तिका, अत्तिगा, स्त्री० नाटक में ज्येष्ठ भगिनी। नाम विशेष, sister in drama's. अर्तिकोदयः, अत्तिकोदओ, पुं० दुःख दूर करना। पीड़ा का अंत, gone of pain, painless. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संस्कृत - प्राकृत-हिन्दी एवं अंग्रेजी शब्द कोश अर्तिहानि, अत्तिहाणि, स्त्री० पीड़ाशान्त । व्याधि की समाप्ति, painless, anxietyless, diseaseless. अर्थ, अत्थ, सक० प्रार्थना करना, स्तुति, मांगना, याचना करना, to pray to beg, • अनुरोध करना, प्रयत्न करना, to invite, चाहना, कामना करना, समर्थन करना, to wish, to support. अर्थ:, अत्यो, पुं० अर्थ, धन, वित्त, संपत्ति, weather, property, • विषय, इच्छा, चाह, कामना, wish, • प्रयोजन, हेतु, कारण, cause, purpose, • वस्तु, पदार्थ । thing, • उद्देश्य, लक्ष्य, aim, लाभ, profit, • फल, अभिप्राय, purpose, • कुशल, योग्य, सार्थक, use, • अभीष्ट, यथार्थ, उचित, great, • चतुर्थ पुरुषार्थ में द्वितीय पुरुषार्थ - अर्थ | सर्व प्रयोजन सिद्धि रूपोऽर्थः । • अर्यते इत्यर्थः - जिसे उपार्जित किया जाता वह अर्थ है। • अज्जंते गम्मते दुवालसविसय पयोजणे - जिससे द्वादशांग विषय के प्रयोजन की ओर गति की जाती है या उसके अभिप्राय तक जाया जाता है वह अर्थ है। • द्रव्य स्थिति जो एक पर्याय की प्राप्ति (उत्पाद) पूर्व पर्याय का विनाश (व्यय) और स्थिति से युक्त होता है, वह अर्थ है। • दव्वाणि गुणाणिं च पज्जाया अत्यो। • अत्योत्ति झेओ झायणिज्जो झायव्वो परत्थ दवियं च । • दव्वाणि गुणा तेसिं पज्जाया। • अत्थोत्त अत्यकिरिया समत्यो भावो। • अज्जए गम्मए णायए णिच्छयए य स पर गोयर विसयं सो अत्थो एव समस्त प्रयोजन का आधारभूत कारण अर्थ है। • अभीष्ट वस्तु का कथन अर्थ है। • आगम वचनों का आश्रय लेना अर्थ है। संजायए जस्स बुद्धि अत आगम- - विसएसुं सो वि अत्थो । for what purpose motive, reason, ground, means indicated, substance. · अर्थम्, अत्यं, नपुं० धन, सम्पत्ति, वित्त, wealth, property. अर्थकथा, अत्थकहा, स्त्री० अर्थकथा, धन संपत्ति का For Private and Personal Use Only -
SR No.020644
Book TitleSanskrit Prakrit Hindi Evam English Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2011
Total Pages611
LanguageSanskrit, Hindi, Prakrit, English
ClassificationDictionary
File Size17 MB
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