SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 692
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रहरः [प्र--ह+अप् ] दिन का आठवाँ भाग, प्रहर (तीन डालना 3. आघात, मुक्का, चोट, ठोकर, धौल-रघु० घंटे का समय)-प्रहरे प्रहरेऽसहोच्चारितानि गामानये- 7144, मुष्टिप्रहार, तलप्रहार आदि 5. ठोकर-- जैसा त्यादिपदानि न प्रमाणम् - तर्क। कि पादप्रहारः और लत्ताप्रहार: में 6, गोली मारना। प्रहरकः [प्रहर+कन् ] एक पहर / / प्रहारणम् [प्र+हु+णिच् + ल्युट] वाञ्छनीय उपहार / प्रहरणम् [प्र+ह+ ल्युट्] 1. प्रहार करना, मारना | प्रहासः [प्र+हस्+घञ्] 1. ज़ोर की हँसी, अट्टहास 2. डालना, फेकना 3. धावा करना, आक्रमण करना 2. मज़ाक, दिल्लगी, हंसी 3. व्यंग्योक्ति, व्यंग्य 4. घायल करना 5. हटाना, बाहर निकालना 6. शस्त्र 4. नर्तक, नट, पात्र 5. शिव 6. दर्शन, दिखावा अस्त्र, या (उर्वशी) सकुमारं प्रहरणं महेन्द्रस्य -वेणी० 2 / 28 7. एक तीर्थ स्थान का नाम-तु० -विक्रम० 1, रघु० 13173 भग० 119, मा० 89 प्रहास। 7. संग्राम, युद्ध, लड़ाई 8. ढकी हुई पालकी या डोला। प्रहासिन् (पुं०) [प्र+हस्। णिच् + णिनि] विदूषक, प्रहरणीयम् | प्र-हि-अनीयर् ] अस्त्र, शस्त्र / मसखरा। प्रहरिन् (पुं०) [प्रहर -इनि ] 1. रखवाला 2. पहरेदार, प्रहिः[प्र+हि-+क्विप] कुआँ / घंटी वाला। प्रहित (भू० क० कृ०) [प्र+धा+क्त] 1. रक्खा हुआ, प्रहर्तृ (वि.) [प्र--हु-तृच ] 1. प्रहार करने वाला, प्रस्तुत किया हुआ 2. बढ़ाया हुआ, फैलाया हुआ पीटने वाला, हमला करने वाला 2. लड़ने वाला, 3. भेजा हुआ, प्रेषित, निदेशित-विचारमार्गप्रहितेन संयोधी, योद्धा 3. तीरंदाज, निशाने बाज, धनुर्धर / चेतसा- कु० 5 / 42 4. छोड़ा हुआ, निशाना लगाया प्रहर्षः | प्र+हुए+घन ] 1. अत्यधिक हर्ष, अत्यानन्द, ___ हुआ (तीर आदि का) 5. नियुक्त किया गया उल्लास-गुरुः प्रहर्षः प्रबभूव नात्मनि रघु० 3 / 17 6. समुचित, उपयुक्त, - तम् चाट, चटनी / 2. लिङ्ग का खड़ा होना। प्रहीण (भू० क० कृ०) [प्र+हा+क्त, ईत्, तस्य नः, प्रहर्षणम् [प्रहृष् + ल्युट् ] उल्लसित करना, प्रहृष्ट णत्वम् ] छोड़ा गया, खाली किया गया, त्यागा गया, करना, आनन्दित करना,-णः बुध ग्रह / - णम् विनाश, निराकरण, घाटा। प्रहर्ष (षि) णो [प्र+हृष्+णिचू+ ल्युट् + ङीप् -प्र प्रहुतः,-तम् [प्र-हु+क्त] भूतयज्ञ, बलिवैश्यवदेव, दैनिक +हष् +-णिच् --णिनि-डी ] 1. हल्दी 2 एक पाँच यज्ञों में एक, तु० मनु० 3174 / छन्द का नाम, दे० परिशिष्ट / प्रहृत (भू० क० कृ०) [प्र+ह+क्त] पीटा गया, आघात प्रहर्षलः [प्रहृष् + उलच् ] बुध ग्रह / किया गया, चोट किया गया, घायल किया गया / प्रहसनम् [प्र+हस्+ल्युट ] 1. जोर की हँसी, अट्टहास, -तम् मुक्का, प्रहार, चोट / खिलखिलाकर हँसना 2. मजाक, ठिठोली, व्यंग्यौक्ति, प्रहृष्ट (भू० क० कृ०) [प्र+हृष्+क्त] 1. खुश, प्रसन्न, उपहास--धिक् प्रहसनम् -उत्तर० 4 3. व्यंग्यलेख, आनंदित, आह्लादित 2. पुलकित करना, रोमांचित व्यंग्य 4. स्वांग, तमाशा, हँसी का सुखान्त नाटक : करना (रोंगटे खड़े होना) / सम-- आत्मन्-चित्त, --सा० द० में दी गई परिभाषा--भाणवत्सन्धिसध्यं- --मनस् (वि०) मन से खुश, हृदय से आनन्दित / स्याङ्गाङ्कविनिर्मितम्, भवेत्प्रहसनं वृत्तं निन्द्यानां प्रहृष्टकः [प्रहृष्ट+कन्] काक, कौवा।। कविकल्पितम्-५५३ तथा आगे, उदा० 'कन्दर्पकेलि'।। प्रहेलकः [प्र+हिल+ण्वल] 1. एक प्रकार का सुहाल, प्रहसन्ती [प्र-|-हस्+-शत--ङीप्] 1. एक प्रकार की चमेली, मीठी रोटी 2. पहेली-दे० नी० 'प्रहेलिका' / "जुही, यूथिका, बासन्ती 2. एक बड़ी अंगीठी। प्रहेला [प्र-हिल+अ+टाप] मुक्त या अनियंत्रित प्रहसित ( भू० क० कृ० ) [प्र-|-हस् + क्त ] हँसता व्यवहार, शिथिल आचरण, रंगरेली, विहार। हुआ,-तम् हँसी, हास्य / प्रहेलिः (स्त्री०), प्रहेलिका [प्र+हिल-+-इन्, प्रहेलिकन् प्रहस्तः [प्रततः प्रसृतो हस्त: प्रा० स०] 1. खुला हाथ +टाप] पहेली, बुझौवल, कुट प्रश्न, विदग्धम ख जिसकी अँगुलियाँ फैली हों, (थप्पड़) 2. रावण के मंडन में दी गई परिभाषा व्यक्तीकृत्य कमप्यर्थ एक सेनापति का नाम)। स्वरूपार्थस्य गोपनात, यत्र बाह्यन्तरावर्थो कथ्यते सा प्रहाणम् [ प्र+हा+ ल्युट् ] त्यागना, छोड़ना, भूल जाना प्रहेलिका। यह आर्थी और शाब्दी दो प्रकार की है। ---मनु० 5 / 58 / तरुण्यालिङ्गितः कण्ठे नितम्बस्थलमाश्रितः, गुरूणां प्रहाणिः (स्त्री०) [प्र+हानि, णत्वम्] 1. त्यागना सन्निधानेऽपि कः कूजति महमहः। (यहाँ पहेली का 2. कमी, अभाव / उत्तर है- ईषदूनजलपूर्णकुंभः) यह आर्थी का प्रहारः[प्रह-घश। / वार करना, पीटना, चोट उदाहरण है। सदारिमध्यापि न वैरियक्ता नितान्त करना-याज्ञ० 3 / 248 2. घायल करना, मार / रक्ताप्यसितव नित्यं यथोक्तवादिन्यपि नैव दृती का For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy