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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संकेत सूचि अ० अक० अलु० स० अव्य० स० आ० उदा० उप० स० उभ० कर्म० स० त० स० पर० ज्या० कर्म० वा० कर्त० वा. ब० व० म० अ० अ० पु० म० पु० उ० पु० ब० स० भवि० इच्छा० भू० क. कृ. तृ० त० सं० कृ० वर्त० कृ० द्वि० क० द्वि० स० द्वि० त० प० त० न० स० तुल० ना० धा० सम्प्र० सम० तु० प्रर० ज्यो उ० अ० ए० व० सा०वि० अव्यय अकर्मक अलुक समास अव्ययीभाव समास आत्मने पद उदाहरणतः उपपद समास उभयपदी कर्मधारय समास तत्पुरुष समास तृतीया तत्पुरुष समास देखो द्वन्द्व समास द्विकर्मक द्विगु समास द्वितीया तत्पुरुष समास षष्ठी तत्पुरुष समास ना समास तुलनात्मक नामधातु सम्प्रदान कारक समस्त पद तुलना करो प्रेरणार्थक ज्योतिष उत्तमावस्था एक वचन सार्वनामिक (निर्देशक) विशेषण विशेषण बीजगणित क्रिया विशेषण वर्तमानकाल भूत काल प्रादि समास ना बहुव्रीहि समास ना तत्पुरुष समास पुल्लिग नपुंसक लिंग स्त्री लिंग सकर्मक पृषोदरादित्वात् विप० करण० कर्तृ० कम० आलं. वाति व० अने० पा० संबो परस्मैपद ज्यामिति कर्म वाच्य कर्तृवाच्य बहु वचन मध्यमावस्था अन्यपुरुष मध्यम पुरुष उत्तम पुरुष बहुव्रीहि समास भविष्यत्काल इच्छार्थक, सन्नन्त भूतकालिक कर्मणि कृदन्त (क्त) संभाव्य कृदन्त (तव्यत्) वर्तमानकालिक कृदन्त (शत्रन्त या शानजन्त) विपरीतार्थक करणकारक कर्तृकारक कर्मकारक आलंकारिक वार्तिक वैदिक नाना पाठान्तर संबोधन यङलुङन्त संबंध तदेव शब्दशः अधिकरण कारक उपसर्ग भ्वादिगण अदादिगण जहोत्यादिगण स्वादिगण दिवादिगण तुदादिगण क्रयादिगण चरादिगण रुधादिगण तनादिगण संबं. त० वि० श० अधिक उप० बी० ग. क्रि० वि० वर्त० भूत प्रा० स० न० ब० न० त० स्वा० अदा० ज० स्वा० दि. कया० च० रु० तना० सक० पृषो० For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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