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-~-नायिकाया नायकस्य वा मनोरथं ज्ञात्वा स्वमत्या | निहीन (वि.) नितरां हीन: प्रा० स०] अधम, नीच, कार्य साधयति वा)।
-नः नीच आदमी, अधम कुल में उत्पन्न । निस्तरणम् | निस्+त+ल्युट ] 1. बाहर जाना, बाहर | निह्नवः [नि+नु+अप् ] 1. मुकर जाना, जानकारी . आना 2. पार करना 3. बचाना, मुक्ति, छुटकारा | __ का छिपाना-कार्यः स्वमतिनिह्नवः-मा० १११२, 4. तरकीब, उपाय, योजना।
चन्द्रा० ५।२७ 2. गोपनीयता, छिपाव-याज्ञ० २।११ निस्तहणम् [ निस्+तृह ल्युट ] वध, हत्या ।
२६७ 3. रहस्य 4. अविश्वास, सन्देह, शंका 5. दुष्टता निस्तारः [निस्+त+घञ्] 1. पार करना-संसार | 6. परिशोधन, प्रायश्चित्त 7. बहाना।
तव निस्तारपदवी न दवीयसी-भट्टि० ११६९ 2. | निह्न तिः (स्त्री०) [नि+ह+क्तिन् ] 1. मकरना, छुटकारा पाना, छुट्टी, बचाव, उद्धार 3. मोक्ष 4. जानकारी का छिपाव, अमरू८ 2. पाखंड, संवरण, ऋणपरिशोधन, चुकौती, अदायगी-वेतनस्य निस्तारः | मनोगुप्ति 3. गोपनीयता, छिपाना, गुप्त रखना । कृतः--हि० ३ 5 उपाय, तरकीब ।
नी (भ्वा० उभ० नयति-ते, नीत) [ द्विकर्मक धातू, उदानिस्तीर्ण (भू० क० कृ०) [निस्+त+क्त ] 1. उद्धार
हरण नी० दे० ] 1. ले जाना नेतृत्व करना, लाना, किया हुआ, मुक्त किया हुआ, बचाया हुआ 2. पार |
पहुँचाना, लेना, संचालन करना-अजां ग्राम नयति किया हुआ (आलं०) वेणी०६।३६ ।
सिद्धा०, नय मां नवेन बसति पयोमुचा--विक्रम० निस्तोदः [ निस्+तुद्+घञ् ) चुभना, डंक मारना। ४१४३ 2. निर्देश करना, निदेश देना, शासन करना निस्पंदः [ नि+स्पन्द +धा ] कंपकपी, घड़कन, -मालवि० ०२ 3. दूर ले जाना, बहा ले जाना---- गति।
सीता लंकां नीता सुरारिणा-भट्टि० ६।४९, रघु० निस्यं (व्यं) दः [ नि+स्यन्द +धा षत्वं विकल्पेन ] १२।१०३, मनु०६८८ ६. उठा ले जाना--- शा० ३।
1. आगे, या नीचे की ओर बहना, चना, टपकना, ५. किसी के लिए ले जाना (आ०) 6. व्यय करना, बंद २ करके गिरना, झरना, रिसना-वल्कलशिखा (समय) बिताना-येनामन्दमरन्दे दलदरविन्दे दिनान्यनिस्यंदरेखांकिता:-श० १।१४ 2. क्षरण, स्राव, नायिषत-भामि० १२१०, नीत्वा मासान् कतिचित् रसीलापदार्थ, रस-उत्तर० २।२४, मा० ९।६ 3. ----मेघ० २, संविष्टः कुशशयने निशां निनाय-रघु० प्रवाह, स्रोत, पानी को धार-हिमाद्रि निस्वंद इवाव- १२९५ 7. किसी अवस्था तक कृश करना-तमपि तीर्णः- रघु० १४।३,४१, १६१७०, मदनिस्यंदरेखयोः तरलतामनयदनंग:-का० १४३, नीतस्त्वया पंचताम् ----१०५८, मेध० ४२ ।
रत्न० ३।३, रघु०८।१९ (इस अर्थ में यह धातु नामों निस्यविन (वि.) [ नि+स्यन्द+-णिनि ] टपकने वाला, के साथ उसी प्रकार प्रयुक्त होती है जिस प्रकार कृ बहने वाला, रिसने वाला।
- उदा. 1. अस्तं नो छिपाना . दंडंम् नी दण्ड देना, नित्रवः, निस्रायः [न++अप, धन वा ] 1. सरिता,
सजा देना 3. दासत्वं नी दास बनाना 4. दुःखं नी धारा 2. चावलों का मांड़।
संकटग्रस्त करना 5. परितोषं नी तप्त करना, निस्वनः, निस्वानः [ नि+स्वन्+अप, धश वा ] शब्द,
प्रसन्न करना 6. पुनरुक्ततां नी फालतू करना 7. आवाज, रधु० ३।१९, ऋतु० १।८, कि० ५।६ ।
भस्मतांनी 8. भस्मसात् नी जलाकर राख करना निहत (भू० क० कृ०) [नि+हन्-क्त ] 1. पटखी 9. वशं नी अधीन करना, जीत लेना 10. विक्रय नी
दिया हुआ, आधात किया हुआ; बथ किया हुआ, 11. विनाशं नो नष्ट करना 12. शद्रतां नी शूद्र मारा हुआ 2. प्रहार किया हुआ, चोट जमाया हुआ बनाना 13. साक्ष्यं नी गवाही मानना 8. निश्चय 3. अनुरक्त, भक्त । ।
करना, गवेषणा करना, पूछताछ करना, निर्णय करना, निहननम् [नि+हन्+ ल्युट् ] वध, हत्या ।
फैसला करना-छल निरस्य भूतेन व्यवहारान्नयेन्नृपः निहवः [नि+हे+अप, संप्रसारण ] आवाहन, बुलावा । -याज्ञ० २।१९, एवं शास्त्रेषु भिन्नेषु बहुधा नीयते निहारः [नि-1-ह-धज ] दे० 'नीहार'।
क्रिया-महा०१. पता लगाना, लीक के सहारे पीछा निहिसनम् नि-+-हिस् ल्यट] बध, हत्या।
करना, खोज निकालना-एतलिगर्नयेत् सीमा-मनु० निहित (भू० क० कृ०) [नि+धा+क्त ] 1. रक्खा ८।२५२, २५६, यथा नयत्यसकपातैर्मगस्य मृगयु: पदम्
हुआ, धरा हुआ, टिकाया हुआ, स्थापित, जमा किया '-८।४४, याज्ञ० २११५१ 10. विवाह करना 11. हुआ 2. सौंपा हुआ, समर्पित 3. प्रदत्त, प्रयुक्त 4. बहिष्कृत करना 12. (आ०) शिक्षा देना, अनदेश अहित, अंदर रक्खा हुआ 5. कोषबद्ध किया हआ देना-शास्त्रे नयते-सिद्धा, प्रेर०- नाययति-तें, 6. संभाला हुआ 7. (धूल आदि) पड़ी हुई 8. गंभीर मार्गदर्शन करना, पहुंचवाना (करण के साथ) तेन स्वर में उच्चरित ।
मां सरस्तीरमनाययत्-का० ३८, इच्छा० निनीषति
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