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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org - ( ४१३ ) झाट: [ झट् + घञ्ञ ] 1. पर्णशाला, लतामण्डप 2. कान्तार, वृक्षों का झुरमुट | शिटि:- टी (स्त्री० ) [ झिम् + रट् + अच् + ङीष् पृषो० एक प्रकार की झाड़ी । झिरिका [ झिरि |कै + क+टाप् ] झींगुर । झिल्लि : ( स्त्री० ) [ झिरिति अव्यक्त शब्दं लिशति - झिर् + लिश् + डि] 1. झींगुर 2. एक प्रकार का वाद्ययंत्र | - टक् (चुरा० उभ० – टङ्कयति ते, टङ्कित) 1. बांधना, कसना, जकड़ना 2. ढकना, उद्--1. छीलना, खुरचना 2. छिद्र करना, सूराख करना । टङ्कः, कम् [ टङ्क +घञ्ञ, अच वा ] 1. कुल्हाड़ी, कुठार, cit (पथकाने या गढ़ने के छेनी) टर्मन:शिलगुहेव विदार्यमाणा - मृच्छ० ११२०, रघु० १२.८० 2. तलवार 3. म्यान 4. कुल्हाड़ी की धार के आकार की चोटी, पहाड़ी की ढाल या झुकाव - भट्टि० १८ 5. क्रोध 6. घमंड 7. पैर का पैर, लात । टङ्ककः [ टङ्क +-कन् ] चाँदी का सिक्का । सम० पतिः टकसाल का अध्यक्ष, शाला टकसाल 1 (नः) टङ्कणम् (नम् ) [ टक् + ल्युट् ] सोहागा, - णः 1. घोड़े की एक जाति 2. एक देश विशेष के निवासी । सम० --- क्षारः सोहागा । टङ्कारः [ टम् +कृ+- अण् ] 1. धनुष की डोर खींचने से होने वाली ध्वनि 2. गुर्राना, चिल्लाना, चीत्कार, चीख । कारिन् (वि० ) ( स्त्री० णौ ) [ टङ्कार + इनि] टंकार करने वाला, फूत्कार या सीत्कार करने वाला; झंकार करने वाला टङ्कारिचापमनु लङ्काशरक्षतजपङ्कावरूषितशरम् अस्व० १ । [ टङ्क + न् + टाप्, इत्वम् ] टांकी, कुल्हाड़ी - विक्रमांक० १।१५ । टंगः, -गम् [टङ्कः पृषो० ] कुदाल, खुर्पा, कुल्हाड़ी । टङ्गणः,—णम् [=टङ्कण पृषो० ] सोहागा । टङ्गा [ टङ्ग+टाप् ] टांग, लात, पैर । ट |टहरी [ व्हेति शब्द राति रा + क + ङीष् ] 1. एक प्रकार का वाद्ययंत्र 2. परिहास, ठठ्ठा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 5 5: (पु० ) (धातु के बने बर्तन के सीढ़ियों में से गिरते हुए ध्वनि जैसी ) अनुकरणात्मक ध्वनि - रामाभिषेके मलाया: कक्षाच्च्युतो हेमघटस्तरुण्याः, सोपानमार्गे प्रकरोति शब्द ठठं ठठठं ठठठं ठठंठः सुभा० । झिल्लिका [ झिल्लि + कन् + टाप् ] 1. झींगुर 2. धूप का प्रकाश, चमक, दीप्ति । झिल्ली (स्त्री० ) [ झिल्लि + ङीप् ] 1. झींगुर 2. दीये की बसी 3. प्रकाश, चमक । सम० -कष्ठ: पालतू कबूतर | treet ( स्त्री०) झींगुर । झुण्ड: [ लुण्ट् + अच्, पृषो०] 1. वृक्ष, बिना तने का पेड़ 2. झाडी, झाड़-झंखाड़ । झोड: (पुं०) सुपारी का पेड़ । टाङ्कारः [ टङ्कार+अण् ] झंकार, टङ्कार | टिक (स्वा० आ० - टेकते ) जाना, चलना-फिरना । टिटि (ट्टि) भः (स्त्री० भी ) [ टिटि (ट्टि) इत्यव्यक्तशब्द भणति -- टिटि (ट्टि) + भण्ड] टिटिहिरी पक्षी, -- उत्क्षिप्य टिट्टिभः पादावास्ते भङ्गभयाद्दिवः - पंच ० १३१४, मनु०५।११, याज्ञ० १।१७२, ('टिट्टिभक' भी) । टिप्पणी (नी) [ टिप् + क्विप्, टिपा पन्यते स्तूयते - टिप् + पन् + अच् + ङीष् पृषो० पात्वं वा] भाप्य, टीका । (कभी कभी 'भाष्य' पर लिखी गई 'व्याख्या' के लिए भी उदा० महाभाष्य पर कैयट की व्याख्या या टीका या कैयट के भाष्य पर नागोजी भट्ट की टीका या भाष्य ) । टीक् ( स्वा० आ० टीकते) चलना-फिरना, जाना, सहारा, 'देना - करमर्याः कृतमालमुद्गतदलं कोर्याष्टिकष्टीकते मा० ९ ७, -- आ-, जाना, चलना-फिरना, इधर-उधर घूमना - आटीकसेऽङ्ग करिघोटीपदातिजुषि वाटीभुवि क्षितिभुजाम् अस्व० ५ । टीका [ टीक्यते गम्यते, ग्रन्थार्थोऽनया - टीक् + क+टाप् ] व्याख्या, भाष्य – काव्यप्रकाशस्य कृता गृहे गृहे टीका तथाप्येष तथैव दुर्गमः । टुटुक (वि० ) [ टुटु इति अव्यक्तशब्द कायति टुटु+के+ क] 1. छोटा, थोड़ा 2. दुष्ट, क्रूर, नृशंस 3. कठोर । ठक्कुरः ( पुं० ) 1. मूर्ति, देवमूर्ति 2. पूज्य व्यक्ति के नाम के साथ लगने वाली सम्मानसूचक उपाधि - उदा० गोविन्द ठक्कुर ( काव्य प्रदीप के रचयिता ) । ठानी (स्त्री०) तगड़ी, करघनी । For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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