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( २८० ) (स्वी) बरा व्यवहार, ... वैद्यः खोटा वैद्य, कठवैद्य, ।। १५।१५, शि०१३।४० 3. किसी चीज का भीतरी नीम हकीम,---शील (वि०) अक्खड़, दुष्ट, अशिष्ट, भाग---रघु० १०॥६५ (यहाँ शब्द द्वितीय अर्थ को भी दुष्ट स्वभाव, ...ष्ठलम् बुरी जगह,-- सरित् (स्त्री०) । प्रकट करता है) 4. गर्त 5. गुफा, कन्दरा रघु० २। क्षुद्र नदी, छोटा स्रोत-उच्छिद्यन्ते क्रियाः सर्वाः ग्रीष्मे ३८,६७ 6. तालवार का म्यान 7. खाड़ी। सम० कुसरितो यथा--पंच० २।८५ - सृतिः (स्त्री) -शूल: पेट दर्द, उदरशल । 1. दुराचरण, दुष्टता 2. जादू दिखाना 3. धूर्तता,-स्त्री कुक्षिरभरि (वि०) कुक्षि भू-इन्, मम्] अपना पेट भरने खोटी स्त्री।
की चिन्ता करने वाला, स्वार्थी, पेट्', बहुभोजी। कु। (म्वा० आ० ..कवते) ध्वनि करना।
कुडकुमम् कुक+जमक, नि० मम] केसर, जाफ़रान-लग्न।। (तुदा० आ० • कुवते) 1. बड़बड़ाना, कराहना
कुकुमकेसरान् (स्वन्यान्)-रघु० ४।६७, तु०४।२, 2. चिल्लाना, क्रंदन करना ।
५।९, भर्तृ० १११०, २५, । सम०-- अद्रिः एक पहाड़ iii (अदा० पर०--कौति) भिनभिनाना, कूजना, गुंजन
का नाम। करना (मधुमक्खी की भांति)।
कुच् i (तुदा० पर० - कुचति, चित) 1. (पक्षी की भांति) कुकभम् कुकेन आदानेन पानेन भाति --कुक+मा+क] कर्कश ध्वनि करना 2 जाना 3. चमकाना 4. सिकोएक प्रकार की तीक्ष्ण मदिरा।।
ड़ना, झुकाना 5. सिकुड़ना 6. वाघा उपस्थित करना कुकील: [को पृथिव्यां कील: इव] पहाड़।
7. लिखना, अंकित करना, सम् - , 1. टेढ़ा होना, कुकु (क) दः [कुकु वा कू इत्यव्ययम्---अल कृता कन्या तां 2. संकुचित करना, 3. संकुचित होना-यथा-गात्रं संकु
सत्कृत्य पात्राय ददाति कुकु (कू)+दा+क] उपयुक्त चितं, मगपतिरपि कोगात् सङ्कुचत्युत्पतिष्णुः -- पंच० शृंगारों से सुभूषित (अलकृत) कन्या को विधिपूर्वक । ३।४३ 3. वन्द करना मुझाना---कमलवनानि समविवाह में देने वाला।
कुत्रन्-दम०, (प्रेर०) वन्द करना, सिकोड़ना, कुकुन्द (द) रः स्कंद्यते कामिना अत्र, नि० सावु:] जघन- | घटाना।
कूप, कूल्हे के दो गर्त जो नितम्ब के ऊपरी भाग में ii(श्वा०पर (कुज्च भी)--कोचति, कुञ्चति, कुचित) होते है, दे० 'ककुन्दर'।
1. कुटिल बनाना, झुकाना वा टेढ़ा करना 2. टेढ़ी तरह कुकुराः (ब० व०) [कुकुर+क] एक देश का नाम, इसे से चलना 3. छोटा करना, घटाना 4. सिकुड़ना, संकू. 'दशाह' भी कहते हैं।
चित होना 5. की ओर जाना, आ , सिकोड़ना, टेढ़ा कुकलः, लम् [क ऊलच. कुगागम:] 1. चोकर, भुसी करना, झुकाना (प्रेक० भी) कु० ३१७० रघु०६।१५,
---.कलानां राशौ तदनु हृदयं पच्यत इव-उत्तर०६। भल० ११३,-वि.--, सिकोड़ना, टेढ़ा करना । ४० 2. भमी से बनी आग,--लम् [कोः कुलम् प०
कुचः | बच्+क) स्तन, उरोज, चूनी-- अगि बनान्तरगल्पत०] 1. छिद्र, खाई (खंटे स्थूणादिकों से भरी हुई) कुचन्तरा-विक्रम० ४।२६ । सम अनन्, --मुखम्, 2. कवच, बस्तर।
चूचक,- तटम्, -तटी 1. (स्त्रियों के स्तनका उतार, कुनकुटः किक-न-क्विप, तेन कुटति, कुक+कुट+क --फल: अनार का वृक्ष ।
1. मर्गा, जंगली माँ 2. जले हए भुस का फिसफिसाना, । कुचर (वि.)(स्त्री -रा-रो) 1. मान वर्ग: जाने वाला, जलती हई लकड़ी 3. आग को चिगारी।
रें। कर जाने वाला 2. दृष्ट, नीच, दुश्चरित 3. अपकुटिः , -- टी (स्त्री०) [कुक्कूट+इन्, पक्षे डीप्] दम्भ, मानित करने वाला, छिद्रान्वेपो, ... रः स्थिर तारा। पापण्ड, धार्मिक अनुष्ठानों से स्वार्थ सिद्धि ।
कुच्छम् [कु-छो1-क कमल को एक जाति, कुमुद । कुक्कुभः कुक्कु शब्दं भाषते कुक्कु+भाष-1-3 बा०] ! कुजः कुन-जन्+] 1. वृक्ष 2. मंगल ग्रह 3. एक राक्षस 1. जंगली मई 2. मां 3. वानिश ।।
जिसे कृष्ण ने मार गिराया था ('नरक' भी इसी का कर (स्त्री० री) कोकते आदते-कुछ--क्विा , कुक नाम है), जा सीता। पिणि महल जनं दृष्ट्या कृति शब्दायते--कुक कूजम्भल: कुभिल: कोः पृथिव्याः जम्भनमिव अब ३०स०,
पारका कुत्ता-यस्यैतच्च न कुक्कूरैरहरहर्जनांतरं कोः पृथिव्याः को पृथिव्यां वा जमल: पत वा बते. मछ० २।१२ । सम-वाच (पुं०) हरिणों म० त०] सेंध लगाकर घर में चोरी करने का का पक लालि।
दोर।
कुज्झटिः, कुज्झटिका, कुण्झटो कुज । विस, नाइन, TA: क्सि] 1. पेट ..जिहिताध्मातकुभिः (भुजग- कुज चामौ झटिच्च कर्म स०, कुज्झटि- कन-टार,
T), मृच्छ० ९।१२ 2. गर्भाशय, पेट का वह भाग कुज्झटि-डीष कुहा, धुन्ध । निगमें भ्रण रहता है-कुम्भीनस्याश्च कुक्षिज:--- रघु० । कुञ्च -दे० कुच।।
२ का वृक्ष मान चरित
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