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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ) । २७० वनभव या शरजन्मा कहते है। कहते हैं कि उसने क्रौंच पहाड़ को विदीर्ण कर दिया इसीलिए वह क्रौंचदारण कहलाता है। एक शक्तिशाली राक्षस तारक के विरुद्ध युद्ध में वह देवताओं की सेना का सेनापति था-जिसमें उसने राक्षसों को परास्त करके तारक को मार डाला, इसीलिए उसका नाम सेनानी और तारकजित है, उसका चित्रण मयूरारोही के रूप में किया जाता है)। सम-प्रसू: (स्त्री०) पार्वती, कातिकेय की माता। कात्स्न्यम् [कृत्स्नध्या ] पूर्णता, समग्रता, समूचापन ---तान्निबोधत कात्स्येन द्विजाग्र्यान् पङ्क्तिपावनान् --मनु० ३।१८३ । कार्दम (वि०) (स्त्री०—मी) [कर्दम+अण्] कीचड़ से भरा हुआ, मिट्टी से सना हा या गारे से लथपथ । कार्पट: [कर्पट+अण्] 1. आवेदक, अभियोक्ता, अभ्यर्थी 2. चिथड़ा 3. लाक्षा। कार्पटिकः [कर्पट--ठक] 1. तीर्थयात्री 2. तीर्थों के जलों को ढोकर अपनी आजीविका कमाने वाला 3. तीर्थ यात्रियों का दल 4. अनुभवी पुरुष 5. पिछलग्ग । कापण्यम् [कृपण--ष्य] 1. गरीबी, दरिद्रता, गरीबीव्यक्तकार्पण्या 2. दया, रहम 3. कंजूसी, बुद्धिदौर्बल्य -भग०१७ 4. लघुता, हल्कापन । कास (वि०) (स्त्री०-सी) [ कास+अण् ] रूई का बना हुआ,-सः,--सम् रूई की बनी हुई कोई वस्तू -मनु० ३८१३२६, १२०६४ 2. कागज,-सी रूई का पौधा, बाड़ी। सम० --अस्थि (नपुं०) कपास का बीज बिनौला,-नासिका तकुआ,-सौत्रिक (वि.) रूई के सूत से बना हुआ-याज्ञ० २।१७९।। कासिक (वि.) (स्त्री०-की) [कसि-+-ठक] कपास का या रूई से बना हुआ। कासिका, कार्पासी कापसी+कन+टाप् ह्रस्व, कापस +डी] रूई या कपास का पौधा, बाड़ी। कार्मण (वि.) (स्त्री०-णी) [कर्मन्+अण्] 1. काम को पूरा करने वाला 2. कार्य को पूर्ण रूप से भलीभांति करने वाला,---णम् जादू, अभिचार ... निखिलनयनाकर्षणे कार्मणज्ञा-भामि०२७९, विक्रमांक०२।१४, ८२। कामिक (वि.) (स्त्रो०-की) [कर्मन्+ठक] 1. हस्तनि मित, हाथ से बना हुआ 2. बेलबूटों से युक्त, रंगीन धागों से अन्तमिश्रित 3. रंगविरंगा या बेलबटेदार वस्त्र। कार्मक (वि०) (स्त्री०-की) [कर्मन्+उका] काम | करने योग्य, भलीभांति और पूर्णत: काम करने वाला, -कम्। धनुष-त्वयि चाधिज्यकार्मुके -श. ११६ | 2. बाँस । कार्य (सं० कृ०) [+ज्यत्] जो किया जाना चाहिए, । बनना चाहिए, सम्पन्न होना चाहिए, कार्यान्वित किया जाना चाहिए आदि,--कार्या सैकतलीनहंसमिथुनासोतोवहा मालिनी-श०६।१६, साक्षिणः कार्या:-मनु० ८.१६, इसी प्रकार दण्डः, विचार: आदि,-र्यम् 1. काम, मामला, बात-कार्य त्वया नः प्रतिपन्नकल्पम् -कु० ३।१४, मनु० ५।१५० 2. कर्तव्य-शि० २१ 3. पेशा, जोखिम का काम, आकस्मिक कार्य 4. धार्मिककृत्य या अनुष्ठान 5. प्रयोजन, उद्देश्य, अभिप्राय --शि० २१३६, हि० ४।६१ 6. कमी, आवश्यकता, प्रयोजन, मतलब (करण के साथ)-कि कार्य भवतो हृतेन दयितास्नेहस्वहस्तेन में-- विक्रम० २।२०, तणेन कार्य भवतीश्वराणाम-पंच० ११७१, अमरु ७१ 7. संचालन, विभाग 8. काननी अभियोग, व्यावहारिक मामला, झगड़ा आदि-बहिनिष्क्रम्य ज्ञायतां कः कः कार्यार्थीति-मच्छ० ९, मनु ० ८।४३ १. फल, किसी कारण का अनिवार्य परिणाम (विप० कारण) 10 (व्या० में) क्रियाविधि, विभक्तिकार्य-रूपनिर्माण 11. नाटक का उपसंहार-कार्योपक्षेपमादी तनुमपि रचयन्- मुद्रा० ४।३ 12. स्वास्थ्य ( आयु. ) 13. मूल । सम-अक्षम (वि०) अपना कार्य करने में असमर्थ अक्षम,-अकार्यविचारः किसी वस्तु के औचित्य से संबंध रखने वाली चर्चा, किसी कार्यप्रणाली के अनकूल या प्रतिकूल विचारविमर्श, अधिप: 1. किसी कार्य या विषय का अधीक्षक 2. वह ग्रह या नक्षत्र जो ज्योतिष में किसी प्रश्न का निर्णायक होता है, अर्थ: किसी उत्तरदायित्वपूर्ण कार्य का उद्देश्य, प्रयोजन मनु० ७।१६७ 2. सेवानियक्ति के लिए आवेदनपत्र 3. उद्देश्य या प्रयोजन,--अथिन (वि.) 1. प्रार्थना करने वाला 2. अपना उद्देश्य या प्रयोजन सिद्ध करने वाला 3. सेवा नियक्ति की खोज करने वाला 4. न्यायालय में अपने पक्ष का समर्थन करना, न्यायालय में जाने वाला-मच्छ०९--आसनम किसी कार्य को संपन्न करने के लिए बैठने का स्थान, गद्दी,- ईक्षणम् सरकारी कार्यों की देखभाल-.. मनु०७।१४१,-उद्धारः कर्तव्य को पूरा करना, -कर (वि०) अचूक, गुणकारी,--कारणे (द्वि० व.) कारण और कार्य, उद्देश्य और प्रयोजन, भावः कारण और कार्य का संबंध,-काल: काम करने का समय, मौसम, उपयुक्त समय या अवसर,--गौरवम किसी कार्य की महत्ता, -- चितक (वि.) 1.बूरदर्शी, सावधान, सतर्क, (-क:) किसी व्यवसाय का प्रबन्धकर्ता, कार्यकारी अधिकारी याज्ञ० २११९१,---च्युत (वि.) कार्यरहित, बेकार, किसी पद से बर्खास्त,-दर्शनम् 1. किसी कार्य का निरीक्षण करना 2. सार्वजनिक मामले की पूछताछ --निर्णयः किसी बात का फैसला,--पुटः 1. निरर्थक For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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