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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir है जैसे अंग्रेजी का 'हल्लो' (Hallo) शब्द : किया गया 2. चोट पहुंचाई गई, प्रहार किया गया, हहो चिन्मयचित्तचन्द्रमणयः संवर्धयध्वं रसान् / क्षतिग्रस्त 3. नष्ट, बरबाद 4. वञ्चित, हीन, रहित -चन्द्रा०२२ 2. तिरस्कार एवं अभिमानसूचक अव्यय 5. निराश भग्नाश 6. गणित-दे० हन, 'निकम्मा' 3. प्रश्न वाचक अव्यय (नाटकों में इस शब्द का 'अभिशप्त' 'दयनीय' 'अधम' अर्थों को प्रकट करने के प्रयोग मध्यम पात्रों द्वारा प्रायः संबोधन के रूप में लिए यह समस्त शब्द के प्रथम पद के रूप में प्रयुक्त किया जाता है हंहों ब्राह्मण मा कृप्य मुद्रा० 1) / होता है अनुशयदुःखायदं हतहृदयं संप्रति बिबुद्धम् हक्कः [हक इति अव्यक्तं कायति-हक्-+के+क] हाथियों --- श० 6 / 6, कुर्यामुपेक्षा हतजीवितेऽस्मिन्-रघु० को बुलाना। 14 / 65, हतविधिलसिताना ही विचित्रो विपाकः-शि० हंजा हंजे हम इति अव्यक्तं जप्यतेऽत्र हम्+जप्-+ डा 11164 / सम० आश (वि.) 1. आशा से रहित, (डे)] संबोधनात्मक अव्यय जो किसी दासी या नौक- निराश, ध्वस्ताश 2. दुर्बल, अशक्त 3. कर, निर्दय, रानी को बुलाने में प्रयक्त होता है हंजे कंचणमाले 4. बांझ . नीच, दुष्ट, पाजी, अभिशप्त, दुर्वत्त, अहम् ईदिसी कडुभासिणी-रत्न०३ / - कण्टक (वि०) कांटों से मुक्त, शत्रुओं से रहित, हट (भ्वा० पर० हटति, हटित) चबकना, उज्ज्वल होना। -चित्त (वि.) व्याकुल, घबड़ाया हुआ,—त्विष् हट्टः [ हट्ट , टस्य नेत्वम् बाजार, हाट, मेला / सम० (वि०) धुंधला --रघु० 3 / 15, वैव (वि०) हत..-चौरकः वह चोर जो बाजार से चीजे चुराये भाग्य, भाग्यहीन, दुर्भाग्यग्रस्त,-प्रभाव (वि.) - गंठकठा, विलासिनी 1. वारांगना, वेश्या, रंडी (वि०)शक्तिहीन, निर्वीर्य, बलहीन,-बुद्धि 2. एक प्रकार का गंधद्रव्य / ज्ञान से वञ्चित, बेहोश, भाग,- भाग्य (वि.) हठः हिटअच 1. प्रचण्डता, बल 2. अत्याचार, लट भाग्यहीन, बदकिस्मत,--मूर्खः बड़ा मुर्ख, बुद्ध,- लक्षण खसोट, (हठेन, हठात् - (क्रिया विशेषण के रूप में (वि०) शुभलक्षणों से विरहित, अभागा, शेष प्रयुक्त) बलपूर्वक, प्रचंडता से, अचानक, दुराग्रहपूर्वक (वि०) जीवित बचा हुआ,-श्री,- संपद् (वि०) अम्बालिका च चण्ड वर्मणा हठात् परिणेतुमात्मभव जिसका वैभव नष्ट हो गया हो, धन के न रहने पर नमनीयत दश०, वानरान वारयामास हठेन मधुरेण जो दरिद्र हो गया हो, साध्वस (वि.) जिसका भय च राम। सम०---योगः योग की एक विशेष नष्ट हो गया हो, भयमुक्त, निर्भय / / रीति या भावचिन्तन व मनन का अभ्यास ('राजयोग' हतक (वि०) [हत + कन्] दुःखी, दुःशील, दुर्वृत्त नीच, से भिन्नता दिखाने के लिए इसका नाम 'हठयोग' दुष्ट (प्राय, समास के अन्त में प्रयुक्त)--न खल पड़ा; इसका अभ्यास भी कुछ कठिन है, इसके अन् / विदितास्ते तत्र निवसन्तश्चाणक्यहतकेन मुद्रा० 2, पालन की अनेक रीतियाँ है, उदा० एक पैर के बल दूषिताःस्थ परिभूताःस्थ रामहतकेन - उत्तर०१,---कः खड़ा होना, हाथों का ऊपर किये रहना, सिर ऊपर नीच पुरुष, कायर। करके धूम्रपान करना आदि),-विद्या बलपूर्वक मनन ! हतिः (स्त्री०) हिन्--क्तिन्] 1. हत्या, विनाश 2. प्रहार करने का विज्ञान / करना, घायल करना 3. आघात, प्रहार 4. नाश, हडिः हल्+इन्, पृषो०] काठ की बेडी। असफलता 5. त्रुटि, दोष 6. गुणा / हरि (ड्डि) कः, हड्डिः [हट् +इकक्, पृषो०, हठ + इन्, | हत्नुः [हन् + क्त्नुः] 1. शस्त्र 2. रोग या बीमारी / पृषो०, कन् वापि] अत्यंत नीच जाति का पुरुष, भंगी | हत्या [हन भावे क्यप् वध करना, मार डालना, संहार, ___ आदि / कतल, जघन्य वध जैसे भ्रूणहत्या, गोहत्या, आदि। हड्डम् हिडि पृषो०] हड्डी। सम० जम् मज्जा। हद् (भ्वा० आ० हदते, हन्न) पुरीषोत्सर्जन, मलत्याग हण्डा (अव्य०)हान् +डा संबोधनात्मक अव्य० जो निम्न करना, इच्छा० (जिहत्सते) / श्रेणी की स्त्रियों को बुलाने में, या निम्नतम जाति | हदनम् [हद् --ल्युट पुरीषोत्सर्ग, मलत्याग।। (भंगी आदि) के व्यक्तियों द्वारा आपस में एक दूसरे हन (अदा०पर हन्ति, हत, कर्मवा० हन्यते, प्रेर० घातको संबोधित करने में प्रयुक्त होता है - हंडे हंजे यति--ते, इच्छा० जिघांसति) 1. मार डालना, वध हलाहाने नीचां चेटी सखी प्रति अमर०, स्त्री० एक करना, नाश करना, प्रहार कर देना अयश्च दूषणबड़ा मिट्टी का बसन / खरत्रिमूर्धानो रणे हताः - उत्तर० 2 / 15, हतमपि च हण्डिका, हण्डी [हण्डा+कन्-+टाप, इत्वम्, हण्ड + ङीष्] हन्त्येव मदन:-भर्तृ० 3 / 18 2. आघात करना, हांडी, मिट्टी का एक वर्तन / पीटना-चण्डी चण्डं हन्तुमभ्युद्यता मां विद्युददाम्ना हंडे (अव्य०) हिन्+रे] दे० 'हंडा (अव्य०)। मेघराजीव विध्यम् ----मालवि० 320, शि० 756 हत (भ० क० कृ०) [हन्+क्त] 1. मारा गया, वध | 3. चोट पहुँचाना, क्षति पहुँचाना, कष्ट देना, संताप For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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